चुनावी वर्ष में केंद्र सरकार को रहेगी रेवेन्यू की चिंता

Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Jun, 2018 05:27 AM

revenue worry for the central government in the election year

केन्द्र सरकार वर्ष 2017-18 के दौरान गैर-कर रैवेन्यू इक_ा करने के लक्ष्य से पिछड़ गई है, जिस कारण उसे अब चुनावी वर्ष से पहले ङ्क्षचता सताने लगी है। टैलीकाम सैक्टर, बढ़ते तेल आयात बिल, बैंकिंग सैक्टर में पतन और सार्वजनिक सैक्टर संस्थानों में लाभांश का...

नई दिल्ली: केन्द्र सरकार वर्ष 2017-18 के दौरान गैर-कर रैवेन्यू इकट्ठा करने के लक्ष्य से पिछड़ गई है, जिस कारण उसे अब चुनावी वर्ष से पहले ङ्क्षचता सताने लगी है। टैलीकाम सैक्टर, बढ़ते तेल आयात बिल, बैंकिंग सैक्टर में पतन और सार्वजनिक सैक्टर संस्थानों में लाभांश का घटना इस चिंता का मुख्य कारण है।

कंट्रोलर जनरल अकाऊंट्स के आंकड़ों से मुताबिक सरकार ने वर्ष 2018 में  केवल 1.93 ट्रिलियन रुपए एकत्रित किए हैं, जबकि यह गैर-कर रैवेन्यू का 81.6 प्रतिशत बनता है। पिछले वर्ष के मुकाबले 33 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई है परन्तु 2018-19 दौरान आशा की जा रही है कि गैर-कर रैवेन्यू में विस्तार होगा, शायद 2.45 ट्रिलियन रुपए परन्तु इस दिशा में भारी कोशिश और मेहनत करनी होगी। 

वित्त मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि टैलीकाम स्पैक्ट्रम की बिक्री में असफलता और सरकारी स्वामित्व के क्षेत्र में लाभांश की गिरावट प्रमुख कारण हैं और चिंता इस बात की है कि गैर-कर रैवेन्यू का मोटा हिस्सा हासिल क्यों नहीं हो सका। सरकार को कम्यूनिकेशन सेवाओं यानी स्पैक्ट्रम की बिक्री, लाइसैंस और स्पेक्ट्रम यूजर्स से खर्चों की वसूली के साथ 443 बिलियन रुपए एकत्रित करने की आशा बंधी है। फरवरी 2018-19 के बजट में 307 बिलियन रुपए की राशि रिवाईज की थी। 

सूत्रों के अनुसार वर्ष 2017 में टैलीकाम कम्पनियों ने वर्ष 2016 के मुकाबले लाइसैंस फीस और स्पैक्ट्रम प्रयोग के चार्जिज के बदले में 25 प्रतिशत कम भुगतान किया है। वर्ष 2016 में सरकार का रैवेन्यू इन दो स्रोतों से 236 बिलियन रुपए के मुकाबले कम होकर 180 बिलियन रुपए हो गया है। प्रति यूजर औसतन रैवेन्यू वर्ष 2016 के 119 रुपए से कम कर साल 2017 में 81 रुपए रह गया है। टैलीकाम कम्पनियों को रेटों की पेशकश करने और योजनाएं लागू करने में भारी मशक्कत करनी पड़ेगी और यह स्थिति एक विश्लेषण मुताबिक कुछ और महीनों तक बनी रह सकती है। विश्लेषण से यह भी पता चला है कि बैंकों में मौजूदा घाटे की वजह के साथ स्टेट स्वामित्व वाले बैंकों को कम लाभ प्राप्त होगा। 

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