Edited By jyoti choudhary,Updated: 02 Oct, 2020 05:40 PM
भारतीय स्टेट बैंक ने इस साल राजकोषीय घाटा सरकार के अनुमान से अधिक रहने का संभावना जताई है। एसबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि केंद्र सरकार का Fiscal deficit चालू वित्त वर्ष 2020-21 में उसके तय अनुमान से कहीं आगे निकल सकता है
नई दिल्लीः भारतीय स्टेट बैंक ने इस साल राजकोषीय घाटा सरकार के अनुमान से अधिक रहने का संभावना जताई है। एसबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि केंद्र सरकार का Fiscal deficit चालू वित्त वर्ष 2020-21 में उसके तय अनुमान से कहीं आगे निकल सकता है यह देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 13 प्रतिशत हो सकता है। एसबीआई ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट में कहा कि इस साल बाजार मूल्य पर आधारित जीडीपी वित्त वर्ष 2018-19 के स्तर से नीचे रहने के अनुमान हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजदा रुझानों को देखते हुए राज्यों और केंद्र का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में जीडीपी के 13% तक पहुंचने का अनुमान है।
वहीं, भारत के लेखा महानियंत्रक द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, सरकार के खर्च और राजस्व प्राप्ति के बीच का अंतर अप्रैल से अगस्त के दौरान 8,70,347 करोड़ रुपए यानी बजट में अनुमानित वार्षिक लक्ष्य के 109.3 प्रतिशत पर पहुंच गया। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का fiscal deficit अगस्त तक 8.7 लाख करोड़ रुपए यानी बजट अनुमान के 109.3 प्रतिशत पर पहुंच गया है। इससे केंद्र सरकार को अब 12 लाख करोड़ रुपए के नए उधारी लक्ष्य पर टिके रहने के लिए खर्च में बड़ी कटौती करने की जरूरत होगी, जिसका इकोनॉमिक ग्रोथ पर निगेटिव इंपैक्ट पड़ेगा।
Net Revenue में 7 लाख करोड़ रुपए की कमी
हालांकि, SBI ने अपनी रिपोर्ट में केंद्र और राज्यों के लिए आंकड़े अलग-अलग करके नहीं बताए हैं। इससे पहले SBI ने अपनी रिपोर्ट में अनुमान लगाया था कि केंद्र का राजकोषीय घाटा सरकार के 3.8 प्रतिशत के अनुमान की तुलना में दोगुना से कुछ अधिक होकर 7.9 प्रतिशत पर पहुंच सकता है लेकिन अब इसे 13 फीसदी तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार के उधार लेने के कार्यक्रम पर टिके रहने से ऋण बाजार को खुशी मिलेगी लेकिन सरकार की मौजूदा खस्ताहाल वित्तीय स्थिति को देखते हुए ऐसा कर पाना मुश्किल लग रहा है। SBI ने अपनी रिसर्च में कहा, एक्साइज ड्यूटी अगस्त तक 32 प्रतिशत से अधिक बढ़ा है। इस साल टैक्स और नॉनटैक्स रेवेन्यू में कमी आने की वजह से सरकार के नेट राजस्व कमी करीब 7 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है।