SC ने RBI से कहा- वित्त मंत्रालय के साथ बैठक कर 3 दिन में बताएं, ग्राहकों को ब्याज में छूट देंगे या

Edited By jyoti choudhary,Updated: 12 Jun, 2020 02:23 PM

sc told rbi talk to finance ministry will give interest rebate to

कोरोना संकट के दौरान कर्ज अदायगी में छूट की अवधि के दौरान ब्याज में छूट को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से सवाल किया है कि क्या ब्याज पर भी मोहलत दी जा सकती है?

बिजनेस डेस्कः कोरोना संकट के दौरान कर्ज अदायगी में छूट की अवधि के दौरान ब्याज में छूट को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से सवाल किया है कि क्या ब्याज पर भी मोहलत दी जा सकती है? शीर्ष अदालत ने वित्त मंत्रालय और RBI के अधिकारियों से 3 दिनों के भीतर संयुक्त बैठक कर ये तय करने को कहा है कि क्या 31 अगस्त तक EMI पर दी गई मोहलत के साथ ब्याज पर भी मोहलत दी जा सकती है? सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि वो ब्याज माफ करने के लिए नहीं टालने की बात कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर वित्त मंत्रालय और RBI को आपस में बैठक करने के निर्देश दिए। मामले में अगली सुनवाई 17 जून को होनी है।

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सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि लोन चुकाने के लिए दी गई मोहलत देने के बाद EMI पर अधिक ब्याज दर नहीं ली जानी चाहिए यदि लोन 3 महीने के लिए टाल दिया गया है, तो बैंकों को देय राशि में ब्याज और ब्याज पर ब्याज नहीं जोड़ना चाहिए। सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को जानकारी दी है कि इस सप्ताह के अंत में RBI और वित्त मंत्रालय के साथ एक बैठक आयोजित की जानी है।

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क्या है पूरा मामला?
बता दें कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर, आरबीआई ने 27 मार्च को एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें बैंकों को तीन महीने की अवधि के लिए किश्तों के भुगतान के लिए मोहलत दी गई थी। 22 मई को, RBI ने 31 अगस्त तक के लिए तीन महीने की मोहलत की अवधि बढ़ाने की घोषणा की, नतीजतन लोन पर ब्याज छह महीने के लिए ये मोहलत बन गई। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया कि बैंक EMI पर मोहलत देने के साथ- साथ ब्याज लगा रहे हैं जो कि गैर-कानूनी है। इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने RBI और केंद्र से जवाब मांगा था।

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इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में आरबीआई ने हलफ़नामा दायर कर 6 महीने की मोराटोरियम अवधि के दौरान ब्याज माफी की मांग को गलत बताया था। RBI ने कहा कि लोगों को 6 महीने का EMI अभी न देकर बाद में देने की छूट दी गई है, लेकिन इस अवधि का ब्याज भी नहीं लिया गया तो बैंकों को 2 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होगा। जवाब में ये भी कहा गया है कि अभी ब्याज नहीं लगाया गया तो बाद में EMI पर ब्याज और बढ़ जाएगा और बैंकौं व वित्तीय संस्थानों के लिए ब्याज ही आय का स्त्रोत है।
 

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