Smallcap funds में फ्री फ्लोट हिस्सेदारी पूछ रहा SEBI

Edited By jyoti choudhary,Updated: 28 Feb, 2024 11:16 AM

sebi asking for free float stake in smallcap funds

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बड़ी रकम वाले स्मॉलकैप फंड चला रही कंपनियों से पूछा है कि स्मॉलकैप शेयरों के कुल फ्री फ्लोट में उनकी कितनी हिस्सेदारी है। सूत्रों ने बताया कि कंपनियों से इस हिस्सेदारी या निवेश के आंकड़े मांगे गए हैं।...

बिजनेस डेस्कः भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बड़ी रकम वाले स्मॉलकैप फंड चला रही कंपनियों से पूछा है कि स्मॉलकैप शेयरों के कुल फ्री फ्लोट में उनकी कितनी हिस्सेदारी है। सूत्रों ने बताया कि कंपनियों से इस हिस्सेदारी या निवेश के आंकड़े मांगे गए हैं। स्मॉलकैप योजनाओं में निवेश की बाढ़ और मूल्यांकन के बारे में चिंताएं बढ़ने के कारण नियामक चाहता है कि फंड कंपनियां ‘स्ट्रेस टेस्ट’ लें। नई कवायद उन्हीं स्ट्रेस टेस्ट का हिस्सा है।

शेयर बाजार में ट्रेडिंग के लिए जो शेयर उपलब्ध होते हैं, उन्हें फ्री फ्लोट कहा जाता है। सार्वजनिक निवेशकों यानी आम निवेशकों के पास मौजूद शेयर और किसी भी तरह के लॉक इन से मुक्त शेयरों को फ्री फ्लोट माना जाता है। फ्री फ्लोट शेयरों की संख्या कम हो और म्युचुअल फंड का उनमें बड़ा निवेश हो तो तरलता की दिक्कत पैदा हो सकती है। बाजार लुढ़क रहा हो तो यह दिक्कत और भी बढ़ जाती है।

म्युचुअल फंड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘सेबी यह पता लगाना चाहता है कि बाजार में तरलता कितनी है। सभी फंडों का निवेश गिनी-चुनी कंपनियों में होता है और फ्री फ्लोट नहीं रहता है तो परेशानी हो सकती है। यह नियामक के स्ट्रेस टेस्ट का ही हिस्सा है। वह पता लगाना चाहता है कि कुल फ्री फ्लोट का कितना प्रतिशत हिस्सा फंड कंपनियों के पास है।’ सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने पिछले महीने एक कार्यक्रम में कहा था कि नियामक स्मॉलकैप और मिडकैप योजनाओं के स्ट्रेस टेस्ट पर म्युचुअल फंड उद्योग के साथ सक्रियता से बात कर रहा है।

सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने यह भी कहा कि सेबी ने इन टेस्ट के पहले दौर की रिपोर्ट का जायजा भी लिया है मगर उसे और जानकारी की जरूरत महसूस हुई है। एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘इसके पीछे यह विचार है कि बाजार में अगर गिरावट आती है तो चीजें कैसी दिखेंगी। म्युचुअल फंड के स्वामित्व वाली फ्री-फ्लोट और अगर कोई बड़ी गिरावट आती है तो होडिंग्स को भुनाने में कितने दिन लगेंगे, यह जानना चाहते हैं।’

ऊंचे मूल्यांकन के बावजूद निवेशकों द्वारा बहुत सारा पैसा इसमें लगाए जाने के बाद स्मॉलकैप और मिडकैप फंड बाजार नियामक की नजर में आया है। 2023 में एक्टिव इक्विटी में किए गए कुल शुद्ध निवेश का करीब 40 फीसदी हिस्सा स्मॉलकैप और मिडकैप योजनाओं में लगाया गया। इस दौरान 1.6 लाख करोड़ रुपए का निवेश आया जिनमें से इन दोनों फंडों की योजनाओं में 64,000 करोड़ रुपए का निवेश किया गया।

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