नोटबंदी अलोकतांत्रिक, दिशाहीन प्रक्षेपास्त्र: अमर्त्य सेन

Edited By ,Updated: 28 Jan, 2017 06:32 PM

sen says note ban undemocratic move akin to unguided missile

नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने नोटबंदी की कार्रवाई की आज फिर आलोचना करते हुए कहा कि यह एकतरफा तरीके से दागी गई बिना दिशा की मिसाइल है और इसमें लोकतांत्रिक परम्पराओं का पालन नहीं किया गया।

मुंबईः नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने नोटबंदी की कार्रवाई की आज फिर आलोचना करते हुए कहा कि यह एकतरफा तरीके से दागी गई बिना दिशा की मिसाइल है और इसमें लोकतांत्रिक परम्पराओं का पालन नहीं किया गया। सेन ने  कहा, 'समय समय पर हम सरकार द्वारा एकतरफा ढंग से छोड़ी गई मिसाइलों का सामना करते आ रहे हैं। नोटबंदी भी इसी तरह की एक मिसाइल है। लोगों को परेशानी दिक्कतों की रिपोर्टें सामने आ रही है लेकिन यह स्पष्ट नहीं कि यह मिसाइल गिरी कहां है।'

पिछली संप्रग सरकार द्वारा भारत रत्न से सम्मानित सेन ने यहां 'सभी के लिए हैल्थकेयर' विषय पर एक संगोष्ठी में कम्युनिस्ट चीन तथा भारत जैसे लोकतांत्रिक देशों में फैसले करने की प्रक्रिया की तुलना करते हुए यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि चीन में फैसले लोगों के एक छोटे समूह के दृष्टिकोण पर किए जाते हैं जबकि हमारे यहां लोगों की मांग पर भी फैसले किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे यहां राजनीतिक फैसले 'लोगों की राय के आधार पर होने चाहिए।'

सेन गत 8 नवबंर को 1000, 500 रुपए के पुराने नोटों को चलन से निकालने के सरकार के फैसले का पहले भी विरोध कर चुके है। उस समय अर्थव्यवस्था का 80 प्रतिशत से अधिक नकदी इन्हीं दो मूल्य के नोटों के रूप में जनता के पास पड़ी थी। प्रधानमंत्री ने नोटबंदी की घोषणा करते हुए जो लक्ष्य गिनाए थे उनमें कालेधन की अर्थव्यवस्था, जाली नोट और आतंकवाद के वित्तपोषण पर रोक के उद्येश्यों की बात प्रमुखता से कही गई थी। 
 

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