मातृत्व लाभ से बचने के लिए महिलाओं को नौकरी नहीं देती हैं छोटी कंपनियां: सर्वे

Edited By jyoti choudhary,Updated: 09 Mar, 2019 06:21 PM

small companies do not give jobs to women to avoid maternity benefits survey

2017 में वेतन सहित मातृत्व अवकाश (पेड मैटरनिटी लीव) बढ़ने के बाद देश में नए स्टार्टअप्स और छोटी कंपनियां महिलाओं को जॉब पर रखने से कतराने लगी हैं। एक सर्वे में यह बात सामने आई है। सरकार ने मैटरनिटी बेनिफिट्स ऐक्ट में संशोधन किया था,

बेंगलुरुः 2017 में वेतन सहित मातृत्व अवकाश (पेड मैटरनिटी लीव) बढ़ने के बाद देश में नए स्टार्टअप्स और छोटी कंपनियां महिलाओं को जॉब पर रखने से कतराने लगी हैं। एक सर्वे में यह बात सामने आई है। सरकार ने मैटरनिटी बेनिफिट्स ऐक्ट में संशोधन किया था, जिसे मार्च 2017 में संसद की मंजूरी मिल गई थी और नए कानून के तहत महिलाओं को 12 की जगह 26 सप्ताह के पेड मैटरनिटी लीव का प्रावधान लागू हो गया। संगठित क्षेत्र से जुड़ीं 18 लाख महिलाएं नए प्रावधान के दायरे में आ गईं। 

नया कानून 10 या 10 से ज्यादा लोगों को नौकरियों पर रखने वाले हरेक संस्थान पर लागू है। इसके तहत, पहले दो बच्चों के जन्म पर मां बनी कामकाजी महिला को 26 सप्ताह तक वेतन के साथ छुट्टी दिए जाने का प्रावधान किया गया है। 

लोकल सर्कल्स ने 9,000 शुरुआती दौर के स्टार्टअप्स और छोटी कंपनियों का सर्वे किया और बताया कि ऐसी महिलाओं को नौकरी पर रखना बिल्कुल कम बजट पर चल रहे स्टार्टअप्स के लिए बड़ा आर्थिक बोझ जैसा होगा, जो छह महीने के पेड लीव के साथ मातृत्व लाभ लेने वाली हैं। सर्वे में 46 प्रतिशत कंपनियों ने बताया कि उनके यहां पिछले 18 महीनों में ज्यादातर पुरुष कर्मियों की ही बहाली हुई है। 

हालांकि, पिछले साल के आखिर में आश्वस्त किया था कि जो कंपनियां 26 सप्ताह का पेड मैटरनिटी लीव देंगी, उनके 7 सप्ताह के खर्चे की भरपाई सरकार करेगी लेकिन स्टार्टअप्स, छोटी एवं मध्यम आकार की कंपनियों ने इसे पर्याप्त राहत नहीं माना। सर्वे में 65 प्रतिशत कंपनियों ने कहा कि उनके लिए 19 सप्ताह का खर्च भी बहुत ज्यादा है। 
 

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