मकान खरीदने वालों को वित्तीय कर्जदाता मानने का सुझाव

Edited By jyoti choudhary,Updated: 04 Apr, 2018 12:49 PM

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एक उच्च स्तरीय समिति ने सरकार को सुझाव दिया है कि मकान खरीदने वालों को वित्तीय कर्जदाता माना जाना चाहिए ताकि वे भी ऋणशोधन प्र​क्रिया में बैंक आदि वित्तीय संस्थानों की तरह भाग ले सकें।

नई दिल्लीः एक उच्च स्तरीय समिति ने सरकार को सुझाव दिया है कि मकान खरीदने वालों को वित्तीय कर्जदाता माना जाना चाहिए ताकि वे भी ऋणशोधन प्र​क्रिया में बैंक आदि वित्तीय संस्थानों की तरह भाग ले सकें। इसके साथ ही समिति ने ऋणशोधन व दीवाला संहिता के तहत सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए ढीलों का सुझाव दिया है। यह स​मिति 14 सदस्यों की है। समिति ने इस संहिता में कई अन्य बदलावों का भी सुझाव दिया है। यह संहिता दिसंबर 2016 में प्रभावी हो गई।

कंपनी कार्य मंत्रालय द्वारा गठित इस समिति को इस संहिता के कार्यान्वयन में आ रही दिक्कतों व अन्य मुद्दों के समाधान सुझाने को कहा गया था। अपनी विस्तृत रिपोर्ट में समिति ने सुझाव दिया है कि रियल एस्टेट परियोजनाओं में वित्तपोषण की विशेष प्रकृति को देखते हुए मकान खरीदने वालों को वित्तीय कर्जदाता माना जाए। इसमें कई विचाराधीन मामलों में उच्चतम न्यायालय के रुख को भी रेखांकित किया गया है। इसमें कहा गया है कि अगर मकान क्रेताओं को वित्तीय कर्जदाता का दर्जा दिया जा ता है तो वे उक्त संहिता के तहत ऋणशोधन समाधान प्रक्रिया में समान रूप से भाग ले सकेंगे।

अगर इन सिफारिशों को स्वीकार किया जाता है तो मकान क्रेताओं को राहत मिलेगी जो कि विभिन्न रियल एस्टेट परियोजनाओं के समय पर पूरा नहीं होने के कारण परेशान हैं। अनेक रियल्टी कंपनियां ऋण शोधन ​निपटान प्रक्रिया का सामना कर रही हैं। 
 

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