SC के आरबीआई परिपत्र को रद्द करने से बिजली कंपनियों को राहत

Edited By Anil dev,Updated: 02 Apr, 2019 05:56 PM

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उच्चतम न्यायालय के फंसे कर्ज के समाधान पर जारी परिपत्र को रद्द करने के आदेश से बिजली कंपनियों के साथ-साथ बैंकों को भी राहत मिलेगी। इसके साथ कर्ज के पुनर्गठन में लचीलापन आएगा। लेकिन इससे ऋण शोध कार्यवाही धीमी होगी।

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय के फंसे कर्ज के समाधान पर जारी परिपत्र को रद्द करने के आदेश से बिजली कंपनियों के साथ-साथ बैंकों को भी राहत मिलेगी। इसके साथ कर्ज के पुनर्गठन में लचीलापन आएगा। लेकिन इससे ऋण शोध कार्यवाही धीमी होगी। विशेषज्ञों ने मंगलवार को यह कहा।  न्यायालय ने मंगलवार को आरबीआई के 12 फरवरी 2018 के उस परिपत्र को रद्द कर दिया जिसमें बड़ी कंपनियों के एक दिन के कर्ज चूक की पहचान तथा इसके समाधान के लिए ऋण शोधन कार्यवाही शुरू करने को लेकर नियमों का उल्लेख था।  जे सागर एसोसिएट्स के भागीदार वी मुखर्जी ने शीर्ष अदालत के आदेश के बाद कहा कि आरबीआई को दबाव वाली संपत्ति के पुनर्गठन को लेकर संशोधित दिशानिर्देश / परिपत्र जारी करना पड़ सकता है।     

मुखर्जी ने कहा, ‘‘जारी प्रक्रिया को लेकर भी सवाल है। कुछ मामलों में प्रक्रिया या तो पूरी हो चुकी है या पूरी होने के करीब है...हालांकि इससे बिजली कंपनियों के साथ बैंकों को कुछ राहत मिलेगी। साथ ही कर्ज पुनर्गठन को लेकर बैंकों को लचीलापन मिलेगा...।’’  सिरील अमरचंद मंगलदास के प्रबंध भागीदारी सिरील श्राफ ने इसे बड़ा निर्णय बताया। यह न्यायपालिका की सक्रियता को बताता है। उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि इस बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी लेकिन अगर बैंक स्वेच्छा से आईबीसी (दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता) के प्रावधानों का उपयोग करते हैं तो भी व्यवहारिक प्रभाव कम होगा।’’ इक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सब्यसाची मजूमदार ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्णय से बिजली क्षेत्र में दबाव वाली संपत्ति के समाधान की प्रक्रिया और धीमी होगी। 

आरबीआई ने 12 फरवरी को 2018 को दबाव वाली संपत्ति के समाधान के लिए परिपत्र जारी किया था। इसके तहत बैंकों को कर्ज लौटाने में एक दिन की भी चूक की स्थिति में उसे दबाव वाली संपत्ति में वगीकृत करना था। बैंक अगर 180 दिन के भीतर कर्ज लौटाने में चूक की समस्या का समाधान करने में असमर्थ रहते हैं तो उन्हें 2,000 करोड़ रुपए या उससे ऊपर के सभी खातों को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के पास अनिवार्य रूप से भेजना था। बैंकों को 180 दिन की समयसीमा समाप्त होने के 15 दिन के भीतर आईबीसी 2016 के तहत ऋण शोधन आवेदन देना था। परिपत्र के जरिये कर्ज समाधान व्यवस्था को खत्म कर दिया था। इस व्यवस्था के तहत आरबीआई ने कंपनी कर्ज पुनर्गठन तथा रणनीतिक कर्ज पुनर्गठन जैसी योजनाओं का क्रियान्वयन किया था। इस परिपत्र से बिजली क्षेत्र पर सर्वाधिक असर पड़ा था। इसके अलावा इस्पात, परिधान, चीनी तथा जहाजरानी क्षेत्र प्रभावित हुए थे।     

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