चिट्ठी न पहुंचाने पर डाकिए को भरना पड़ेगा 1.40 लाख रुपए का जुर्माना

Edited By jyoti choudhary,Updated: 13 Oct, 2019 10:30 AM

the postman will have to pay a fine of rs 1 40 lakh for not sending the letter

चिट्ठी न पहुंचाना डाकिए को महंगा पड़ गया। डाकिए ने निजी रंजिश के कारण चिट्ठी वापस भेज दी। इसे सेवा में कमी का दोषी पाया गया जिस कारण उपभोक्ता फोरम ने डाकिए को 1.40 लाख रुपए का जुर्माना देने का आदेश सुनाया।

रामपुरः चिट्ठी न पहुंचाना डाकिए को महंगा पड़ गया। डाकिए ने निजी रंजिश के कारण चिट्ठी वापस भेज दी। इसे सेवा में कमी का दोषी पाया गया जिस कारण उपभोक्ता फोरम ने डाकिए को 1.40 लाख रुपए का जुर्माना देने का आदेश सुनाया।

क्या है मामला 
थाना शहजादनगर के ककरौआ गांव निवासी रामपाल, जो होम्योपैथी विभाग में कर्मचारी है, ने वर्ष 2003 में कृषि विभाग में बाबू के पद पर नौकरी के लिए आवेदन किया था। उनका कॉल लैटर पंजीकृत डाक से भेजा गया, जिसे उनके गांव में ही रहने वाले डाकिए ने यह आपत्ति लगाकर वापस भेज दिया था कि इस नाम का कोई व्यक्ति गांव में नहीं है। पीड़ित के मुताबिक गांव में इस नाम के कई व्यक्ति रहते हैं। वोटर लिस्ट और शपथ पत्रों के माध्यम से इसकी पुष्टि भी हुई थी। दरअसल डाक कर्मचारी ने द्वेष भावना के चलते उनकी चिट्ठी नहीं पहुंचाई क्योंकि उनका परिवार राजनीति से जुड़ा है जिसके बाद रामपाल ने उपभोक्ता फोरम में वाद दर्ज करवाया। सुनवाई के दौरान जिला उपभोक्ता फोरम ने मामले में डाक विभाग की सेवा में कमी मानते हुए जुर्माना लगाया था। इस आदेश के खिलाफ  डाक कर्मचारी ने राज्य उपभोक्ता फोरम में अपील की थी।

यह कहा आयोग ने
राज्य उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष अख्तर हुसैन खान ने डाक कर्मचारी की अपील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अपील निचली फोरम के आदेश के साढ़े 6 साल बाद की गई है। अपील की सुनवाई करने के लिए उचित और युक्तिसंगत आधार नहीं है। फोरम ने 1.40 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। 

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