ग्राहकों पर थोपे जा रहे अपनी मर्जी के निशुल्क चैनल, नहीं मिल रहा पूरा लाभ

Edited By jyoti choudhary,Updated: 29 Jan, 2020 11:09 AM

this new rule of trai is useless for the customers free channels

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नए टैरिफ रेगुलेशन ऑर्डर भी ग्राहकों के लिए बेकार साबित हो रहे हैं। नियामक ने 130 रुपए के मासिक शुल्क में फ्री मिलने वाले चैनलों की संख्या को 100 से बढ़ाकर 200 तो कर दिया है लेकिन कंपनियां इसमें भी खेल करती...

बिजनेस डेस्कः भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नए टैरिफ रेगुलेशन ऑर्डर भी ग्राहकों के लिए बेकार साबित हो रहे हैं। नियामक ने 130 रुपए के मासिक शुल्क में फ्री मिलने वाले चैनलों की संख्या को 100 से बढ़ाकर 200 तो कर दिया है लेकिन कंपनियां इसमें भी खेल करती हैं और ग्राहकों को पूरा लाभ नहीं मिल पाता। क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि जब तक उपभोक्ताओं को अपनी पसंद के निःशुल्क चैनल चुनने की आजादी नहीं मिलेगी, ट्राई का नियम लाभकारी नहीं हो सकेगा।

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जाने माने नीति विश्लेषक एवं मीडिया मनोरंजन क्षेत्र के जानकार अश्विनी सिंघला ने कहा कि इस समय देश में 400 से भी ज्यादा फ्री टू एयर (एफटीए) या निःशुल्क चैनल चल रहे हैं। ट्राई ने अपने नए टैरिफ ऑर्डर में केबल टीवी और डीटीएच ऑपरेटरों को निःशुल्क चैनल दिखाने की संख्या 100 से बढ़ाकर 200 कर दिया है लेकिन ग्राहकों को इसका फायदा तब होगा, जब उन्हें यह बताने का अधिकार मिलेगा कि वे कौन से 200 फ्री चैनल चुनना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि कंपनियों के इस खेल को यूं समझिए कि किसी उत्तर भारतीय ग्राहक को ज्यादातर फ्री चैनल दक्षिण भारतीय भाषाओं में उपलब्ध करा दिया जाता है, तो वह ग्राहक के किस काम का। मौजूदा समय में वितरक एवं केबल टीवी ऑपरेटर ग्राहकों पर अपने पसंद के चैनल ही थोपते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि केबल ऑपरेटर्स को ब्रॉडकास्टरों से कैरेज एवं प्लेसमेंट शुल्क के लिए ज्यादा पैसे मिलते हैं। इस तरह एक तरफ तो वितरकों को निःशुल्क चैनल दिखाने के लिए ग्राहकों से पैसे मिल रहे, तो दूसरी तरफ बचे निःशुल्क चैनलों के लिए ब्रॉडकास्टर्स से पैसे वसूल रहे।

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सिंघला का कहना है कि नए आदेश में 200 से ज्यादा निःशुल्क चैनल देखने की चाह रखने वाले ग्राहकों को अतिरिक्त पैसे देने का प्रावधान है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब ये एफटीए चैनल वितरकों को निःशुल्क मिलते हैं, तो फिर वे इसे दिखाने के लिए ग्राहकों से अतिरिक्त शुल्क क्यों ले रहे हैं। यदि ट्राई के नए आदेश का उद्देश्य बिल में कटौती करना है तो फिर सभी एफटीए चैनल निःशुल्क क्यों नहीं दिए जा रहे।

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अला कार्ट में भी है पेंच
ग्राहकों को अला कार्ट के आधार पर चैनल चुनने के लिए अधिकारों का प्रयोग करना चाहिए। ब्रॉडकास्टर अपने बुके के जरिए उपभोक्ताओं पर अनचाहे चैनलों का बंडल थोपते हैं। यदि ग्राहक चुनने की अपनी स्वतंत्रता का उपयोग नहीं कर सकते हैं, तो उन्हें डीडी फ्री डिश डीटीएच चुनना चाहिए। इसके जरिए उपभोक्ता एक बार भुगतान कर आजीवन निःशुल्क चैनल देख सकते हैं। उन्हें केबल या डीटीएच ऑपरेटरों को 130 रुपए का मासिक बिल भी नहीं देना होगा।

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