इस बार ‘आधा-अधूरा बजट’ पेश करेगी सरकार, जानें क्यों?

Edited By jyoti choudhary,Updated: 05 Jan, 2024 12:29 PM

this time the government will present a  half baked budget  know why

अगले कुछ महीनों में देश के अंदर चुनाव की सरगर्मियां बढ़ जाएंगी। 2024 में नई लोकसभा का गठन होना है। इसके लिए पक्ष-विपक्ष ने अपने-अपने हिसाब से तैयारी भी शुरू कर दी है। उससे पहले सरकार एक फरवरी को ‘बजट’ पेश करेगी लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस बार का...

बिजनेस डेस्कः अगले कुछ महीनों में देश के अंदर चुनाव की सरगर्मियां बढ़ जाएंगी। 2024 में नई लोकसभा का गठन होना है। इसके लिए पक्ष-विपक्ष ने अपने-अपने हिसाब से तैयारी भी शुरू कर दी है। उससे पहले सरकार एक फरवरी को ‘बजट’ पेश करेगी लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस बार का ये बजट ‘आधा-अधूरा’ होगा। इसलिए ये ‘आम बजट’ ना कहलाकर ‘अंतरिम बजट’ कहलाया जाएगा। 

आम तौर पर चुनावी साल में हमेशा ‘अंतरिम बजट’ ही पेश किया जाता है। ऐसा इसलिए होता है ताकि चुनाव के बाद जो नई सरकार चुनकर आए वो पूर्ण बजट को अपने हिसाब से तैयार करे। इसलिए चुनाव के बाद सरकार गठन की प्रक्रिया पूरी होती है। उसके बाद संसद के नए सत्र में पूर्ण बजट पेश किया जाता है।

क्यों कहलाता है ये आधा-अधूरा बजट?

‘अंतरिम बजट’ असल में एक अस्थायी बजट होता है। इस बजट में सरकार अमूमन नई घोषणाएं, टैक्स सिस्टम में बदलाव करने से बचती है। इस बजट में जहां पिछले साल के वित्तीय आंकड़ों की जानकारी होती है। वहीं पिछले साल का बजट 31 मार्च तक के लिए मान्य रहता है, ऐसे सरकार सिर्फ नई सरकार के गठन तक के लिए सामान्य सरकारी खर्चों की राशि का प्रावधान करती है।

ये इसलिए भी लाया जाता है क्योंकि सरकार को सैलरी, विभागीय खर्चों पर पैसा खर्च करने के लिए संसद की अनुमति लेनी होती है। इसलिए अंग्रेजी में इसे ‘वोट ऑन अकाउंट’ भी कहा जाता है।

मोदी सरकार का दूसरा अंतरिम बजट

इस साल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को मोदी सरकार का दूसरा अंतरिम बजट पेश करेंगी। इससे पहले साल 2019 में तब वित्त मंत्रालय का प्रभार देख रहे पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट पेश किया था। साल 2019 में पेश हुए अंतरिम बजट को लेकर विपक्ष ने कड़ी आलोचना की थी क्योंकि उस समय बजट में ‘पीएम किसान सम्मान निधि’ योजना का ऐलान किया था।

तब विपक्षी दल कांग्रेस चुनाव प्रचार में व्यस्त थी और उसने ‘न्याय योजना’ का चुनावी वादा किया था। मोदी सरकार की ‘पीएम किसान’ योजना को इसी का जवाब माना गया था। वहीं इसे लागू भी सरकार ने दिसंबर 2018 से किया था। ‘पीएम किसान’ योजना के तहत किसानों को प्रति वर्ष ₹6000 की आर्थिक सहायता दी जाती है।
 

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