Edited By jyoti choudhary,Updated: 14 Sep, 2021 01:28 PM
अगस्त में थोक महंगाई के मोर्चे पर सरकार को राहत नहीं मिली है। अगस्त के महीने में देश का थोक मूल्य सूचकांक (WPI) बढ़कर 11.39 फीसदी पर जा पहुंचा है। जबकि इसके 10.8 फीसदी पर रहने का अनुमान किया गया था। बता दें कि पिछले महीनें यानी जुलाई में थोक महंगाई...
बिजनेस डेस्कः अगस्त में थोक महंगाई के मोर्चे पर सरकार को राहत नहीं मिली है। अगस्त के महीने में देश का थोक मूल्य सूचकांक (WPI) बढ़कर 11.39 फीसदी पर जा पहुंचा है। जुलाई में थोक महंगाई 11.16 फीसदी पर थी। जबकि इसके 10.8 फीसदी पर रहने का अनुमान किया गया था। मई में थोक महंगाई 12.94 फीसदी और जून में यह 12.07 फीसदी थी। डब्ल्यूपीआई अगस्त में लगातार पांचवें महीनें दोहरे अंकों में रही। बढ़त का मुख्य कारण प्राथमिक वस्तुओं के साथ-साथ ईंधन और बिजली की कीमतों में वृद्धि थी।
तिमाही दर तिमाही आधार पर अगस्त में फ्यूल एंड पावर की थोक महंगाई 26.02 फीसदी से बढ़कर 26.09 फीसदी पर आ गई है। वहीं, अगस्त में मैन्यूफैक्चर्ड प्रोडक्ट की थोक महंगाई जुलाई के11.2 फीसदी से बढ़कर 11.39 फीसदी पर आ गई है। इस अवधि में खाने-पीने की चीजों की महंगाई घटी है। अगस्त में खाने-पीने की चीजों की थोक महंगाई जुलाई के 4.46 फीसदी से घटकर 3.43 फीसदी पर आ गई है।
महीने दर महीने आधार पर देखें तो अगस्त में प्राइमरी आर्टिकल की WPI 5.72 फीसदी से बढ़कर 6.20 फीसदी पर आ गई है। वहीं, WPI कोर महंगाई 10.8 फीसदी से बढ़कर 11.2 फीसदी रही है।
गौरतलब है कि खुदरा महंगाई के मोर्चे पर उपभोक्ताओं के लिए एक अच्छी खबर आई थी। अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) में पिछले महीने के मुकाबले कुछ नरमी देखने को मिली। सब्जियों और अनाज की कीमतों में कमी इसकी मुख्य वजह रही। शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अगस्त, 2021 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित (Consumer Price Index) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति 5.30 फीसदी थी। इसके पिछले महीने जुलाई, 2021 में इसे 6.69 फीसदी दर्ज किया गया था।
क्या होती है थोक महंगाई दर
होलसेल प्राइस इंडेक्स या थोक मूल्य सूचकांक का मतलब उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है। ये कीमतें थोक में किए गए सौदों से जुड़ी होती हैं। इसकी तुलना में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) या उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आम ग्राहकों द्वारा दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होता है। CPI पर आधारित महंगाई की दर को रिटेल इंफ्लेशन या खुदरा महंगाई दर भी कहते हैं।