Edited By jyoti choudhary,Updated: 13 Oct, 2019 12:07 PM
आर्थिक मंदी के बीच विश्व बैंक ने रविवार को चालू वित्त वर्ष में भारत का ग्रोथ रेट अनुमान घटा दिया है। इससे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को झटका लग सकता है। विश्व बैंक के मुताबिक, भारत की विकास दर 6 फीसदी रह सकती है। वहीं 2018-19 में देश की विकास दर...
वॉशिंगटनः आर्थिक मंदी के बीच विश्व बैंक ने रविवार को चालू वित्त वर्ष में भारत का ग्रोथ रेट अनुमान घटा दिया है। इससे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को झटका लग सकता है। विश्व बैंक के मुताबिक, भारत की विकास दर 6 फीसदी रह सकती है। वहीं 2018-19 में देश की विकास दर 6.9 फीसदी थी।
हालांकि, साउथ एशिया इकोनॉमिक फोकस के लेटेस्ट एडिशन में विश्व बैंक का कहना है कि साल 2021 में भारत की विकास दर दोबारा 6.9 फीसदी रिकवर करने की उम्मीद है। वहीं साल 2022 में विकास दर 7.2 फीसदी रहने का अनुमान है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ सालाना बैठक के बाद विश्व बैंक ने ये घोषणा की है।
लगातार दो साल से पिछड़ रहा है भारत
विश्व बैंक ने कहा है कि लगातार दूसरे साल भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ रेट कम हुई है। 2017-18 में यह 7.2 फीसदी थी, जो 2018-19 में घटकर 6.8 फीसदी हो गई। हालांकि मैन्युफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन एक्टिविटीज बढ़ने से इंडस्ट्रियल आउटपुट ग्रोथ बढ़कर 6.9 फीसदी हो गई जबकि एग्रीकल्चर और सर्विस सेक्टर में ग्रोथ 2.9 फीसदी और 7.5 फीसदी तक रही।
मूडीज ने भी भारत का ग्रोथ रेट अनुमान घटाया
इससे पहले, मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस ने भी 2019-20 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद की ग्रोथ रेट का अनुमान 6.20 फीसदी से घटाकर 5.80 फीसदी कर दिया है। मूडीज का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था नरमी से काफी प्रभावित है और इसके कुछ कारक दीर्घकालिक असर वाले हैं। रिजर्व बैंक (RBI) ने भी हालिया मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक (MPC) के बाद GDP ग्रोथ रेट का अनुमान घटाकर 6.10 फीसदी कर दिया है।
15 अक्तूबर को आईएमएफ जारी करेगा आंकड़े
15 अक्तूबर को आईएमएफ चालू और अगले वर्ष के लिए अपने वृद्धि दर अनुमान के आधिकारिक संशोधित आंकड़े जारी करेगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत की विकास दर के अनुमान को घटाया था। आईएमएफ ने वित्त वर्ष 2019-20 में आर्थिक विकास दर सात रहने की उम्मीद जताई है। इसमें 0.30 फीसदी की कटौती की गई है। इस संदर्भ में आईएमएफ ने कहा था कि कॉर्पोरेट और रेग्युलेटरी अनिश्चितताओं और कुछ गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं की कमजोरी के कारण भारत की आर्थिक विकास दर अनुमान से अधिक कमजोर हुई।
लग सकता है झटका
विकास दर को घटाने के अनुमान से केंद्र सरकार की देश को 50 खरब इकोनॉमी बनाने की कवायद को भी झटका लग सकता है। अगर अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर देखने को या फिर धीमी रफ्तार रहेगी तो इसका असर भविष्य में भी देखने को मिलेगा। फिलहाल देश में कई सेक्टरों में उत्पादन लगभग ठप हो गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि लोग पुराने स्टॉक को भी नहीं खरीद रहे हैं। 50 खरब अर्थव्यवस्था बनाने के लिए विकास दर में तेजी रखने के लिए कोशिशों को जारी रखना होगा।