1950 में तैयार की थी ली काबूर्जिए और पियरे जैनरे ने कैंटीन, अब नए सिरे से तैयार की गई विरासत की कैंटीन

Edited By Priyanka rana,Updated: 25 Apr, 2019 01:12 PM

canteen

ली काबूर्जिए सैंटर में जिस कैंटीन की ओवरहालिंग की गई है उसमें कभी फोरैस्ट डिपार्टमैंट बंदरों को भगाने के लिए लंगूर रखता था।

चंडीगढ़(साजन) : ली काबूर्जिए सैंटर में जिस कैंटीन की ओवरहालिंग की गई है उसमें कभी फोरैस्ट डिपार्टमैंट बंदरों को भगाने के लिए लंगूर रखता था। यहां बाकायदा लंगूरों के कमरे पर जाली लगी हुई थी जिन्हें बंदरों को भगाने के लिए ले जाया जाता था। इस कैंटीन में ही कभी बैठ कर ली काबूर्जिए और पियरे जैनरे कभी अपने अन्य स्टाफ के साथ चाय पिया करते थे। 

इस कैंटीन का नाम कार्बू कैफे रखने की योजना बनाई गई थी, लेकिन इसमें पियरे जैनरे (हिंदुस्तानी लहजे में ज्यादातर लोगों द्वारा लिया जाने वाला नाम) का कहीं जिक्र नहीं आ रहा। लिहाजा अब नाम रखने में थोड़ी देरी हो सकती है। जल्द ही किसी दूसरे नाम पर विचार किया जाएगा। कैंटीन के बारे में कई रोचक जानकारियां सामने आई हैं। 

कैंटीन को रैनोवेट करते समय इसके ओरीजनल ढ़ांचे का पूरा ख्याल रखा गया। इसमें कोई ज्यादा बदलाव नहीं किया गया। जहां बहुत ही ज्यादा जरूरत महसूस की गई वहां ही ओरीजनल स्ट्रक्चर से छेड़छाड़ की गई। कैंटीन का जो गोलाकार स्ट्रक्चर है, पहले लगता था कि यह सीमैंट से बना है, लेकिन जब तोडफ़ोड़ की जा रही थी तो पाया गया कि इसे तो इंटों से ही तैयार किया गया है। 

ये इंटें भी आज की ईंटों से एक सूत तक बड़ी हैं। कैंटीन के अंदर बना बैंच जो दीवार के बिल्कुल साथ सटा था को तोड़ा गया है क्योंकि रैनोवेशन के दौरान उसे बचाने का तरीका नजर नहीं आया। बाहर बने बैंच को जब तोड़ा गया तो उन्हीं ईंटों का प्रयोग कैंटीन के अन्य हिस्से रिपेयर करने में कर लिया गया।  

इंजीनियरिंग विभाग ने पाया कि अगर इसमें नए सिरे से पुराने सरिए निकालकर डाले गए तो मूल स्ट्रक्चर टूटने का डर है लिहाजा इस हिस्से में जाली लगाई गई जिसे कई जगह लोहे के सरिये से वैल्ड कर बांधा गया। कैंटीन के दरवाजे का जो मुख्य डिजाइन है, वही डिजाइन पियरे जैनरे के सैक्टर-5 स्थित घर में लगी लाइट का है। इस घर को अब गैस्ट हाऊस में तबदील कर दिया गया है। 

1980 में बंद हो गई थी कैंटीन, फिर यहां बैठने लगा एक चाय वाला :
यह कैंटीन 1950 में तैयार की गई थी। इसके इर्द गिर्द अब काफी झाड़-झंकाड़ उग गए थे। पहले तो इन्हें साफ कराया गया क्योंकि 1980 से कैंटीन बंद पड़ी थी। यहां बीते कुछ समय पहले तक एक चाय वाला बैठता रहा था जिसे अब सरकारी जगह से बाहर जाने को कह दिया गया। 

अब दोबारा कैंटीन का जीर्णोद्वार हो गया है। इसमें चाय, काफी और समोसे के साथ धीरे-धीरे लाइट रिफ्रैशमैंट भी शुरू कर दी जाएगी। बराबर में पर्यावरण विभाग और कंज्यूमर कोर्ट का आफिस है, लिहाजा वहां के क्राऊड को अट्रैक्ट करने की योजना है ताकि पर्यटन के लिहाज से जगह हिट हो सके। लोग कैंटीन में खाने पीने के लिए आएं और ली काबूर्जिए की इस विरासत को देखें। 

यहां रखे थे लंगूर जो भगाते थे बंदर :
ली-काबूर्जिए सैंटर की डायरैक्टर दीपिका गांधी ने बताया कि एक समय यह कैंटीन फोरैस्ट विभाग के अंडर आ गई थी। यहां फोरैस्ट विभाग वालों ने कैंटीन के अंदरूनी हिस्से में लंगूर रखे हुए थे। इन लंगूरों को बंदर भगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। 

शहर में बहुत जगहों से लंगूरों की डिमांड फोरैस्ट विभाग के पास आती रहती थी। इस कैंटीन में जहां लंगूर रखे गए थे वहां एक तरफ जाली लगी थी। कैंटीन को चलाने के लिए एक ठेकेदार ढूंढ़ा गया है। जहां फिलहाल कैंटीन का खुला हिस्सा है वहां शीशा लगाने की योजना है ताकि उसका मूल स्वरूप बना रहे और शीशे में यह हिस्सा खुला सा ही दिखाई दे।

 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!