स्टोन क्रशर में पार्टनरशिप की आड़ में 74 लाख की धोखाधड़ी, केस दर्ज

Edited By Priyanka rana,Updated: 28 Apr, 2019 09:36 AM

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पंचकूला के सैक्टर-3 के देवी नगर में रहने वाले रघुबीर चौधरी ने डी.पी.सी. पंचकूला को शिकायत दी थी।

पंचकूला(मुकेश) : पंचकूला के सैक्टर-3 के देवी नगर में रहने वाले रघुबीर चौधरी ने डी.पी.सी. पंचकूला को शिकायत दी थी। इसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि स्टोन क्रशर में पार्टनरशिप की आड़ में अमरावती एन्क्लेव में रहने वाली सोनल सूद व उसके भाई रोहित सूद ने उनके साथ 74 लाख रुपए की धोखाधड़ी की है। 

पुलिस ने रोहित सूद व सोनल सूद के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। केस की जांच का जिम्मा आर्थिक अपराध शाखा तो सौंपा गया था, जिसने प्राथमिक जांच के बाद अपनी रिपोर्ट सीनियर पुलिस अफसरों को सौंपी और उसके बाद एफ.आई.आर. दर्ज हो पाई है।

दोनों ने ऐसे लिया झांसे में :
सैक्टर-5 स्थित पुलिस स्टेशन में दी शिकायत में शिकायतकर्ता रघुबीर चौधरी ने बताया कि उनका पंचकूला, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में स्टोन क्रशर का कारोबार है। आरोपी रहित व सोनल का भी सोलन में मै.ताशकंद स्टोन क्रशर के नाम से कारोबार है। आरोपियों को शिकायतकर्ता का भाई बलबीर कुमार जानता था। दोनों आरोपियों ने उसके भाई से अनुरोध किया कि वह उन्हें अपने  कारोबार में पार्टनर के रूप में शामिल करना चाहते हैं। 

आरोपियों ने कहा कि उन्होंने 45 लाख रुपए लगाए हैं और 45 लाख रुपए लगाने की जरूरत है। उनके बहकावे में आकर शिकायतकर्ता पैसा लगाने के लिए राजी हो गए। एग्रीमैंट नियम व शर्तें रखी गई कि कारोबार में चारों बराबर के हिस्सेदार होंगे। अगर कारोबार में घाटा होता है तो उसे भी चारों में बराबर बांटा जाएगा। विश्वास दिलाने के लिए अमरावती स्थित पी.एन.बी. और कालका के एस.बी.आई. में ज्वाइंट अकाऊंट खुलवाया गया। 

पोक-लेन मशीन के लिए भी दिए थे तीन लाख :
एफ.आई.आर. में यह भी लिखा है कि आरोपियों ने शिकायतकर्ता से पोक-लेन मशीन खरीदने के लिए बात की थी। मशीन की कीमत करीब 40 लाख रुपए बताई गई थी। इसके लिए तीन लाख रुपए भी शिकायतकर्ता ने दिए और बाकी राशि को फाइनैंस करवाया गया। इस पर आरोपी रोहित सूद व सोनल सूद ने बतौर गारंटर अपने हस्ताक्षर भी किए। 

जब बैलेंसशीट में की हेराफेरी तो हुआ खुलासा :
वर्ष 2013-14 की बैलेंसशीट में शिकायतकर्ता व उनके भाई के नाम पर 19 लाख रुपए का लोन दिखाया गया जबकि वर्ष 2014-15 की बैलेंसशीट में दोनों आरोपियों ने 38 लाख रुपए का लोन एडवाइंड दोनों को देना दिखाया। 

चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि 2015-16 में बैलेंसशीट से 38 लाख रुपए को ही डिलीट कर दिया गया। इसके अलावा आरोपी फर्म के अकाऊंट में जमा 36 लाख रुपए की भी कोई रसीद नहीं दिखा पाए। तब जाकर इस बात का खुलासा हुआ कि आरोपियों ने उनके साथ 74 लाख रुपए की धोखाधड़ी की है। 

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