10 साल बाद फिर बाहर निकला वाड्रा प्रकरण, वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट का लाइसैंस हुआ रद्द

Edited By Updated: 19 May, 2022 08:39 PM

in 2012 khemka had canceled the mutation of the land

10 साल बाद वाड्रा प्रकरण फिर बाहर निकल आया है क्योंकि हरियाणा की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी का लाइसैंस रद्द कर दिया है। टाऊन एंड कंट्री प्लाङ्क्षनग विभाग के निदेशक...

चंडीगढ़,(बंसल): 10 साल बाद वाड्रा प्रकरण फिर बाहर निकल आया है क्योंकि हरियाणा की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी का लाइसैंस रद्द कर दिया है। टाऊन एंड कंट्री प्लाङ्क्षनग विभाग के निदेशक के.एम. पांडुरंग ने 9 मार्च को 5 पेज का आदेश जारी करते हुए लाइसैंस रद्द किया है। इस आदेश में कैग की रिपोर्ट और जस्टिस एस.एन. ढींगरा आयोग की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है, जिनमें जमीन के आबंटन से लेकर बिक्री और लाइसैंस के नवीनीकरण के साथ-साथ निर्धारित समय अवधि में कमॢशयल कालोनी न बना पाने का जिक्र किया गया है। इस आदेश में तत्कालीन चकबंदी महानिदेशक डा. अशोक खेमका की टिप्पणियां भी दर्ज हैं, जिन्हें आधार बनाकर यह लाइसैंस रद्द किया गया है। जिस जमीन का लाइसैंस रद्द हुआ है, उस पर अब अगले आदेश तक कोई निर्माण कार्य नहीं हो सकेगा।

 


बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार ने गुरुग्राम के सैक्टर-83 स्थित शिकोहपुर में 3.52 एकड़ जमीन पर कमॢशयल कालोनी काटने के लिए ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को 2008 में यह लाइसैंस दिया था। ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज ने यह जमीन राबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी को दे दी थी और स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी ने डी.एल.एफ. होम डिवैल्पर्स को काफी ऊंचे दामों पर बेच दी थी। चकबंदी विभाग के तत्कालीन महानिदेशक डा. अशोक खेमका ने 2012 में इस जमीन का म्युटेशन (इंतकाल) रद्द कर दिया था, जिसके बाद यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर सुॢखयों में आया। भाजपा ने इस मामले को लेकर कांग्रेस पर लगातार निशाना साधा।

 


यह है मामला 
4 जनवरी, 2008 में गुरुग्राम के गांव शिकोहपुर में कमॢशयल कालोनी के लिए ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को इस जमीन का लाइसैंस दिया गया था। फिर यह जमीन वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट को बेची गई। स्काई लाइट ने इस जमीन को डी.एल.एफ. को बेच दिया था। तब नए टाइटल के साथ स्कू्रटनी फीस जमा करवाते हुए सरकार के पास आवेदन किया गया था। 28 मार्च 2008 को 2.701 एकड़ जमीन का लैटर ऑफ इंटैंट जारी हुआ। साथ ही 30 दिनों में सभी कंप्लाइंस पूरा करने के लिए कहा गया। 22 अगस्त 2008 में डी.एल.एफ. ने कंप्लाइंस जमा करवाए। साथ ही स्काई लाइट के साथ कोलाबरेशन एग्रीमैंट भी जमा करवाया गया। 20 मई 2012 में इस कालोनी का बिल्डिंग प्लान अपू्रव हो गया, जिसकी समय अवधि मई 2017 तक रही। इस अवधि तक कालोनी का निर्माण हो जाना चाहिए था। 


 

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