भारतीय हॉकी टीम के पूर्व ड्रैग फ्लिकर संदीप ने किए अपने अनुभव सांझा, कहा...

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Mar, 2018 01:41 PM

indian hockey team

कमर में गोली लगने के बाद मेरे परिवार को 2 माह तक किराए पर कोई मकान रहने के लिए नहीं मिला जो मेरी जिदंगी का सबसे बुरा दिन रहा।

चंडीगढ़(लल्लन) : कमर में गोली लगने के बाद मेरे परिवार को 2 माह तक किराए पर कोई मकान रहने के लिए नहीं मिला जो मेरी जिदंगी का सबसे बुरा दिन रहा। यह कहना भारतीय हॉकी टीम के पूर्व ड्रैग फ्लिकर संदीप सिंह का। उन्होंने यह बात स्पोर्ट्स लिटरेचर फैस्टीवल के दौरान अपना अनुभव सांझा करते हुए कहा। 

 

उन्होंने कहा कि 2006 में एक टूर्नामैंट खेलने के लिए राजपाल के साथ अंबाला कैंट रेलवे स्टेशन से दिल्ली के लिए रवाना हुए। तो इसी कोच में पीछे की सीट पर आर.पी.एफ.का जवान बैठा हुआ था। इसी दौरान जैसे ही ट्रेन शाहाबाद के पास पहुंची तो बम ब्लास्ट की आवाज सुनाई दी और मुझे ऐसा प्रतीत हुआ की किसी ने गर्म राड मेरे पीठ में घूसा दी हो। इसके बाद मुझे कुरूक्षेत्र रेलवे स्टेशन पर उतारा गया और एम्बुलैंस आने में तकरीबन 1 घंटा लग गया। जिसके बाद में ऑटो रिक्शा से अस्पताल पहुंचा। 

 

उन्होंने कहा कि जब मेरे भाई व परिवार के सदस्य पहुंचे तो उन्होंने चंडीगढ़ पी.जी.आई.रैफर करने की मांग की। जब अस्पताल की ओर से रैफर किया गया तो एम्बुलैस में पैट्रोल ही नहीं था तो मेरे दोस्त ने पैट्रोल के लिए रुपए दिए। लेकिन इसके बाद मामला यही शांत नहीं हुआ और रास्ते में अंबाला के आगे रास्ते की मुरम्मत के चलते रोड बंद ऐसे देख के और दिल दुखी हो गया। इसके बाद पी.जी.आई.राजपुरा से होते हुए पहुंचे। उन्होंने कहा कि इस बुलेट से रिकर्व होने में मुझे दो साल का समय लग गए। इस दौरान हम लोग किराए के मकान में रहते थे।  

 

मंजिल पाने के बाद भी मेहनत नहीं होनी चाहिए कम :
संदीप सिंह ने युवा खिलाडिय़ों को उत्साहित करते हुए कहा कि आप को मंजिल मिल जाने के बाद भी मेहनत कम नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस दिन मंजिल मिलने के बाद परिश्रम करना बंद कर दे उस दिन से वह नीचे की तरफ आने लगता हैं। उन्होने कहा कि एक समय पी.जी.आई.के डाक्टरों की ओर से कहा गया कि आप व्हील चेयर पर ही चल सकते हो। इसके बाद मैंने हिम्मत नहीं हारी और 2 साल बाद दोबारा मैदान में वापसी की। 

 

टी-20 क्रिकेट परिपक्व हुआ :
पूर्व आई.ए.एस. और सह-संस्थापक प्ले राइट के विवेक अत्रे ने कहा कि बीते एक दशक में टी-20 क्रिकेट परिपक्व हो गया है। उन्होंने कहा कि हालांकि खेल कुछ विद्ववान अभी भी खेल के इस इंस्टैंट प्रारूप को स्वीकार नहीं करते हैं,  वहीं इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि टी-20 क्रिकेट इतना लोकप्रिय और परिपक्व हो गया है कि ये कल्पना से परे है। 

 

उदाहरण के लिए, लगभग दस साल पहले जब आई.पी.एल. शुरू हुआ, तो यह माना जाता था कि टी-20 केवल तेज गेंदबाजों के लिए है, लेकिन अब स्पिनरों की मांग काफी ज्यादा है! खेल अब काफी अधिक किंग्स इलैवन टीम की तरफ से वर्तमान में खेलने वाले युवा क्रिकेटर मयंक डागर ने कहा कि वह विराट कोहली को अपना आदर्श मानते हैं और जिस तरह से वह फिटनैस के नए स्तरों को तय करते हैं। 

 

पिता ने दी थी नई हॉकी स्टिक :
संदीप सिंह ने बताया कि मेरा हॉकी कोई पंसदीदा खेल नहीं था। लेकिन नई टी-शर्ट व जूते लेने के लिए मैंने हॉकी खेलना शुरू कर  दिया। उन्होंने कहा कि मेरे बड़े भाई हॉकी खेलते थे। और उनको नए जूते तथा टी-शर्ट मिलती थी। जब मैं पिता जी से मांगता था तो वह कहते थे कि हॉकी खेलोगे तो मिलेगा। 

 

इस लिए मैने 8 साल की उम्र में हॉकी खेलना शुरू कर दिया। और 1998 में स्टेट टूर्नामैंट के लिए सलैक्शन हुई तब पिता ने मुझे नई हॉकी स्टिक दी जो आज भी मेरे पास पड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि 2000 में मैंने हॉकी खेलना बंद कर दिया था। लेकिन बड़े भाई के कहने पर दोबारा शुरू किया। जिसके बाद मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 

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