Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Sep, 2017 05:17 PM
बंदर के कारण हुई मौत और उस पर मुआवजा मागने की एक याचिका पर चंडीगढ़ प्रशासन ने शुक्रवार को हाईकोर्ट में पक्ष रखा।
चंडीगढ़ : बंदर के कारण हुई मौत और उस पर मुआवजा मागने की एक याचिका पर चंडीगढ़ प्रशासन ने शुक्रवार को हाईकोर्ट में पक्ष रखा। यूटी प्रशासन ने सीधे तौर पर इसके लिए प्रशासन की बजाय स्थानीय नागरिकों को जिम्मेदार ठहरा दिया।
प्रशासन ने कहा कि लोगों को बार-बार जागरूक किया जाता है कि बंदरों को कुछ खाने को न दिया जाए, लेकिन मंदिरों, ढाबों व रेस्तरा आदि के बाहर उन्हें खाने को दिया जाता है जिसके चलते उनकी आबादी बढ़ रही है।
प्रशासन की ओर से मुख्य वन संरक्षक ने हलफनामा दाखिल करते हुए कहा कि मृतक के परिजनों को दो लाख रुपये मुआवजा काफी है और मुआवजा नहीं दिया जाना चाहिए। इस मामले में बंदर के काटने से नहीं बल्कि पत्थर के गिरने से युवक की मौत हुई थी। किसी को नहीं पता कि वह पत्थर बंदर ने गिराया था या किसी और कारण से गिरा।
इसके साथ ही मुख्य वन संरक्षक ने कहा कि बंदरों को पकड़ने के लिए उनके पास पर्याप्त साधन मौजूद हैं, लेकिन बंदरों को सुखना वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में छोड़ने के अतिरिक्त उनके पास कोई विकल्प नहीं है।