झूठे साबित हो रहे निगम के दावे, शहर की सफाई व्यवस्था बदतर

Edited By Priyanka rana,Updated: 23 Nov, 2019 12:04 PM

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चंडीगढ़ नगर निगम राष्ट्रीय स्तर के स्वच्छ भारत सर्वेक्षण-2020’ को लेकर गंभीर नहीं है।

चंडीगढ़(राय) : चंडीगढ़ नगर निगम राष्ट्रीय स्तर के स्वच्छ भारत सर्वेक्षण-2020’ को लेकर गंभीर नहीं है। हालांकि, पिछले साल 2019 में स्वच्छ भारत सर्वेक्षण के दौरान, स्वच्छता के मामले में मिले 20वें स्थान पर रहने के बाद निगम प्रशासन द्वारा 2020 के सर्वेक्षण के दौरान चंडीगढ़ से नगर निगम द्वारा पहली श्रेणी में लाने के बड़े-बड़े दावे किए गए थे लेकिन सभी दावे झूठे और सच्चाई से दूर हैं। शहर की सफाई व्यवस्था को देखते हुए यह स्पष्ट नहीं है कि चंडीगढ़ अगले साल जनवरी में होने वाले स्वच्छ भारत सर्वेक्षण में अपनी सुंदरता बनाए रखने में सक्षम होगा। 

योजना के तहत टोल-फ्री नंबर भी शुरू नहीं हुआ :
वर्ष 2018 के दौरान तीसरी श्रेणी में आने वाला चंडीगढ़ सफाई व्यवस्था की चरमराई व्यवस्था के कारण 2019 में यह 20 वें स्थान पर खिसक गया था। निगम ने बाद में शहर को नंबर एक पर लाने के लिए बड़ी घोषणाएं की, लेकिन इन घोषणाओं को लागू करने में विफल रहा है। रैंकिंग 2018 के वर्ष में तीसरे स्थान से फिसलकर 20 वें स्थान पर आ गई थी, और उसके बाद भी, शहर पूरी तरह से सफाई व्यवस्था को ठीक नहीं कर सका। 

शहर में गीले और सूखे कूड़े को अलग-अलग करके एकत्रित किए जाने की योजना को भी निगम पूरी तरह लागू नहीं कर पाया है। इसके लिए शहर मेंं 3 ट्रांसपोर्ट सैंटरों की व्यवस्था की जानी थी जहां कूड़े को एकत्रित कर इसे डड्डूमाजरा स्थित प्लांट मेंं पहुंचाया जाना था। 

हैरानी की बात यह है कि इन सैंटरों को अभी तक न ही बनाया गया और न ही इस योजना को लागू ही किया गया। दूसरी ओर, इस योजना के लिए एक टोल-फ्री नंबर शुरू करने का निर्णय लिया गया, जहां कचरे के संबंध में शिकायत दर्ज करने की व्यवस्था की जानी थी।  

अक्तूबर से शुरू होना था सैग्रीगेशन का काम :
नगर निगम के आयुक्त कमल किशोर यादव ने कहा था कि शहर में गीले और सूखे कचरे का 30 प्रतिशत सफलतापूर्वक संग्रहित करना शुरू हो गया है। आयुक्त यादव ने कहा था कि मौजूदा परिस्थितियों के अनुसार, कचरा इकट्ठा करने वाले स्थाई कर्मचारी इस योजना के पक्ष में नहीं हैं। 

यह बताना भी महत्वपूर्ण है कि अक्तूबर से नगर निगम को शहर में इस योजना के अनुसार स्रोत स्तर से गीला और सूखा कचरा इकट्ठा करना आवश्यक था लेकिन निगम अपनी योजना के आदेश का पालन करने में विफल रहा है। 

समझौते पर गारबेज कलैक्टर को राजी करने की उम्मीद रही अधूरी : मेयर
मेयर राजेश कुमार कालिया ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी की डोर-टू-डोर गारबेज कलैक्टर के साथ निगम समझौते पर उन्हें राजी करवा लेगा लेकिन ऐसा नहीं हो सका। योजना के विरोध के कारण निगम को मौजूदा व्यवस्था के तहत गीला और सूखा कूड़ा इकट्ठा करना शुरू करना पड़ा। निगम का मुख्य उद्देश्य वर्ष 2020 में भारत सर्वेक्षण के दौरान शहर की रैंकिंग में सुधार करना है। 

फॉरैस्ट एरिया में गिराया जा रहा कूड़ा, निगम खामोश :
लायन कंपनी पहले डड्डूमाजरा के जंगलों में फिर सैक्टर-42, सैक्टर-43, सैक्टर-38 वेस्ट और अब सैक्टर-33 के ग्रीन एरिया में कूड़ा गिरा रही है। चंडीगढ़ को सिटी ब्यूटीफुल के नाम से जाना जाता है।  

लेकिन इस शहर को साफ सफाई का जिम्मा जिस कंपनी को दिया गया है, वह शहर को नरकीय शहर में तबदील करने पर लगी हुई है। क्या कारण है लगातार कंपनी के खिलाफ शिकायत व धरने प्रदर्शन होने के बावजूद कंपनी अपनी मनमानी करने से बाज नहीं आ रही? मेयर व सैनिटेशन कमेटी के चेयरमैन शक्ति प्रकाश देवशाली का दायित्व बनता है कि वह जनता को इस विषय पर जवाब नहीं दे रहे। 

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