स्कूलों में दिव्यांगों के लिए स्पैशल एजुकेटर की कोई पोस्ट नहीं

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 May, 2018 12:18 PM

no posts from special educator for divisions in schools

दिव्यांग विधार्थियों के मामले में सोमवार को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की डिविजन बैंच में सुनवाई के दौरान चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से स्टेटस रिपोर्ट पेश की गई।

चंडीगढ़ (बृजेन्द्र): दिव्यांग विधार्थियों के मामले में सोमवार को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की डिविजन बैंच में सुनवाई के दौरान चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से स्टेटस रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट के मुताबिक शहर के 114 सरकारी स्कूलों में प्री प्राइमरी लैवल पर 10, एलीमैंट्री स्तर पर 2837, सैकेंडरी पर 876 व सीनियर सैकेंडरी लैवल पर 98 दिव्यांग शिक्षा ले रहे हैं। 

 

वहीं समग्र शिक्षा अभियान के तहत वर्ष 2018-19 के लिए कुछ ट्रेनिंग प्रोग्राम की योजना बनाई गई है। दिव्यांगों के कल्याण से जुड़े इन कार्यक्रमों में 1 हजार से अधिक अध्यापकों और प्रिंसिपल/हैड्स को शामिल किया जाएगा। इसके अलावा बताया गया है कि दिव्यांग बच्चों को सरकारी स्कूलों में फिजीकल एजुकेशन टीचर्स व स्पैशल एजुकेटर्स के माध्यम से स्पोर्ट्स ट्रेनिंग भी दी जा रही है। 

 

वहीं, सैक्टर-26 का इंस्टीच्यूट ऑफ ब्लाइंड नेत्रहीन बच्चों को शिक्षा दे रहा है। यहां 168 विजुअली इंपेयर्ड छात्र हैं। इन्हें प्री प्राइमरी स्तर से सीनियर सैकेंडरी स्तर तक मुफ्त शिक्षा व हॉस्टल ट्रांसपोर्टेशन एवं यूनिफार्म दी जा रही है। 

 

दिव्यांगों के लिए बने वर्ष 2016 के एक्ट के मुताबिक चंडीगढ़ शिक्षा विभाग दिव्यांगों के लिए प्रभावी कदम उठा रहा है। वहीं, ऐसे बच्चों के लिए स्वीकृत बजट में खेल व अन्य गतिविधियों की योजना बना रहा है। केस की अगली सुनवाई 19 जुलाई को होगी।

 

114 सरकारी स्कूलों के लिए 25 एजुकेटर्स 
प्रशासन के मुताबिक दिव्यांगों के लिए 25 एजुकेटर्स को कांट्रैक्ट आधार पर शिक्षा विभाग ने रखा है। यह शहर के 114 सरकारी स्कूलों को कवर कर रहे हैं। हालांकि स्कूलों में पढ़ रहे दिव्यांगों को शिक्षा प्रदान करने के लिए अध्यापक/स्पैशल एजुकेटर की कोई नियमित पोस्ट नहीं है। सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले दिव्यांगों की उनकी दिव्यांगता के हिसाब से भी जानकारी पेश की गई है। 

 

इनमें प्री-प्राईमरी स्कूल, एलीमैंट्री, सैकेंडरी तथा सीनियर सैकेंडरी स्तर पर दिव्यांग बच्चों व उनकी दिव्यांगता की जानकारी सौंपी गई है, जिनमें ब्लाईंडनेस, लो विजन, हीयरिंग इंपेयर्ड, स्पीच एंड लैंगुएज प्राब्लम, लोकोमीटर डिसएबिलिटी, मेंटल इलनेस, स्पेसिफिक लॄनग डिसएबिलिटी, सेरेब्रल पाल्सी, आटिजम, 

 

मल्टीपल डिसेबिलिटी, लेप्रॉसी कर्ड, ड्वार्टफिजम, इंटैलैक्चुअल डिसेबिलिटी, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, क्रॉनिक न्यूरोलॉजिकल कंडीशन, मल्टीपल सिरोसिज, थैलेसिमिया, हीमोफिलिया, सिकल सेल, एसिड अटैक विक्टिम तथा पार्किंसन की डिसेबिलिटी बताई गई है। 

 

वहीं हाईकोर्ट के आदेशों पर शहर के सभी निजी स्कूलों को उनके स्कूलों में पढऩे वाले दिव्यांगों की जानकारी ई-मेल के जरिए मांगी गई है। अधिकतर स्कूलों ने केवल दिव्यांग विधार्थियों की संख्या दी है। वहीं दिव्यांगता किस प्रकार की है उसकी जानकारी नहीं दी गई है। अभी कुछ स्कूलों से डाटा प्राप्त किया जाना है।

 

दिव्यांग विद्याॢथयों की उच्च शिक्षा घटी!
सुनवाई के दौरान निजी स्कूलों में दिव्यांगों की एक जानकारी पेश की गई। इसमें बताया गया कि शुरुआती स्तर पर तो दिव्यांग बच्चे काफी अधिक थे मगर आगे जाकर उनकी शिक्षा प्राप्त करने की संख्या कम होती गई। 

 

इसका कोई कारण सामने नहीं आया। इसे लेकर हाईकोर्ट ने स्कूली पिं्रसीपलों, विशेषज्ञों आदि को एक मीटिंग आयोजित कर समस्याओं पर विचार कर उनका हल निकालने को कहा है। 

 

दिव्यांगों की बेहतरी के लिए हरियाणा को 4 सप्ताह में जरूरी कदम उठाने के आदेश
राइट्स ऑफ पर्संस विद डिसेबिलिटी एक्ट के अस्तित्व में आने के वर्ष भर से अधिक समय बीतने पर भी हरियाणा सरकार द्वारा इसके तहत नियम तय नहीं किए जा सके। इस मुद्दे पर एक केस की सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को 4 सप्ताह में आवश्यक कदम उठाने को कहा है। 

 

नियमों के अलावा दिव्यांगता पर रिसर्च करने के लिए कमेटी के निर्माण, दिव्यांगों को अभिभावकों का सहारा देने के मुद्दों पर जवाब मांगा गया था। ऑल इंडिया ब्लाइंड इम्प्लाइज एसोसिएशन की केंद्र सरकार व अन्यों को पार्टी बनाते हुए दायर याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की डिविजन बैंच ने 4 सप्ताह की समय सीमा तय की है। 

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