Edited By bhavita joshi,Updated: 23 Oct, 2018 10:24 AM
आलुओं में मौजूद जीन्स की वैरिएशन को खत्म कर दिया जाए तो बीजों से पैदा होने वाले आलू फ्रैश और बीमारी रहित होंगे।
चंडीगढ़(रश्मि) : आलुओं में मौजूद जीन्स की वैरिएशन को खत्म कर दिया जाए तो बीजों से पैदा होने वाले आलू फ्रैश और बीमारी रहित होंगे। यह आलू वैसे ही दिखेंगे जैसे उनके पैरेंटस आलू दिखते हैं। पी.यू. के प्रो. कश्मीर सिंह ने आलू में मौजूद ऐसे तीन जीन की पहचान की है, जिन्हें खत्म करके वह आलू को बेहतर जीन वाला बना सकते हैैं। आलू में मौजूद डी.एन.ए. और जीन से संबंधित इस टैक्नोलॉजी पर पी.यू. में काम किया जाएगा।
बॉयोटैक्नोलॉजी विभाग के डा. कश्मीर सिंह को इंडियन काऊंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च-नैशनल एग्रीकल्चरल साइंस फंड (आई.सी.ए. आर.-एन.ए.एस.एफ.) नई दिल्ली की ओर से आलू की जीनोम एडिटिंग पर काम करने का प्रोजैक्ट मिला है। इस प्रोजैक्ट पर काम करने के लिए प्रो. कश्मीर सिंह को 1.65 करोड़ की ग्रांट मिली है। इस प्रोजैक्ट पर सी.पी.आर.आई. शिमला और आईसर त्रिवेंद्रम के सहयोग से काम किया जाएगा। इस प्रोजैक्ट के तहत आलू में मौजूद जीन्स को एडिट किया जाएगा। इस प्रक्रिया में मियोसिस को मिटोसिस में बदला जाएगा, जिससे नए आलुओं को इंफैक्शन सेबचाया जा सके।
क्रिस्पर कैस टैक्नोलॉजी का प्रयोग कर रिसर्च करेंगे
वैरिएशन करने वाले जिन तीन जीन की पहचान की गई है। उन जीन को वह क्रिस्पर कैस टैक्नोलॅाजी के साथ खत्म कर सकते हैं या नहीं, इस विषय पर रिसर्च होगी। अगर क्रिस्पर कैस टैक्नोलॉजी इस इन जीन को खत्म करने में कारगर साबित हुई तो किसानों को उम्दा किस्म के बीज मिलेंगे। इससे किसानों को अच्छे किस्म आलू मिलेंगे। वही, लोगों के स्वास्थ्य से भी खिलवाड़ नहीं होगा। क्रिस्पर कैस टैकनोलॉजी पहले से देश में प्रयोग होती है। अब तक इस टैक्नोलॉजी का केले पर प्रयोग हो चुका है। हालांकि आलुओं पर क्रिस्पर कैस टैक्नोलॉजी को अभी तक आलुओं पर प्रयोग नहीं किया गया है।
आलू के बीजों में होती है वैरिएशन
डा. कश्मीर सिंह ने बताया कि आलुओं के बीजों में वैरिएशन बहुत होती है। हमें हाईब्रिड बीज बनाने है। मानव डी.एन.ए. की तरह ही यह सारा सिस्टम काम करता है। क्रिस्पर कैस टैक्नोलॉजी का प्रयोग कर आलुओं को बीजों की स्थिति में सुधार करना है। कई बार आलुओं को फंगस बीमारी लगी होती है। अब यहीं आलू जमीन में दबाकर उगाए जाएं तो यह बीमारी नए आलुओं में भी लग जाती है। आलुओं के जब हाई क्वालिटी के बीज हमारे पास हों तो कोई बीमारी या इंफैक्शन आलुओं में नहीं होगा।