Edited By ,Updated: 06 May, 2016 01:37 PM
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धारावाहिक 'मुंगेरी लाल के हसीन सपने' के मुख्य किरदार से चर्चित हुए रघुवीर यादव वीरवार को शहर पहुंचे। वह पीयू के डिपार्टमेंट ऑफ इंडियन थिएटर में शामिल हुए। रघुबीर यादव ने बताया कि एक कलाकार के लिए थिएटर सफलता की सिढ़ी माना जाता हैं।
चंडीगढ़, (रश्मि) : धारावाहिक 'मुंगेरी लाल के हसीन सपने' के मुख्य किरदार से चर्चित हुए रघुवीर यादव वीरवार को शहर पहुंचे। वह पीयू के डिपार्टमेंट ऑफ इंडियन थिएटर में शामिल हुए। रघुबीर यादव ने बताया कि एक कलाकार के लिए थिएटर सफलता की सिढ़ी माना जाता हैं। फिल्मों में जाने से पहले सबको थिएटर करना चाहिए। यहां के ओपन थिएटर में शुक्रवार और शनिवार को खेले जाने वाले नाटक बगिया बंछाराम की नामक नाटक को निर्देशन कर रहे हैं। नाटक में पीयू के एमए प्रथम और द्वितीय वर्ष के कुल 23 स्टूडेंट्स विभिन्न किरदार निभा रहे हैं। नाटक का मंचन इंडियन थिएटर विभाग में 6 और 7 मई को किया जाएगा।
लेखक बनने के लिए कई जिंदगियों को देखना जरूरी : लेखक बनने के लिए जिंदगियों को देखना जरूरी होता है। रघुबीर ने कहा कि आजकल 30 साल की उम्र में ही युवा राइटर बनने लगे हैं, लेकिन लेखक जो फिल्में देखते हैं या नाटक देखते हैं उन पर आधारित कहानियां लिखने लगे हैं। इस नकल के कारण सभी कहानियां एक जैसी ही लगती हैं।
कहानियों की है कमी : बकौल रघुबीर शैक्सपियर के जिन नाटकों का मंचन किया जाता था अब उनपर फिल्में बनने लगी हैं। अब इन विषयों पर फिल्में बनाई जा रही हैं। ऐसे में थिएटर कलाकार सोचते हैं कि वह किस विषय पर नाटक का मंचन करें। कहानियों की कमी है, प्रेमचंद जैसे लेखकों द्वारा लिखे गए नाटकों आजकल मंचन हो रहा है।
बच्चों की पढ़ाई जरूरी : पहले मां-बाप बच्चों को रामलीला में रोल करवाते थे, गणेश की झांकी बनवाते थे, लेकिन आजकल बच्चों को चिकनी चमेली जैसे गीतों पर डांस सिखाते हैं। ऐसे में बच्चों के पास सीखने को ज्यादा कुछ नहीं है। वह कुछ गीतों पर डांस सीख लेते हैं उसके बाद कुछ नहीं कर पाते हैं। अभिभवाकों को सबसे पहले उनकी पढ़ाई और अच्छी शिक्षा पर ध्यान देनी चाहिए।