शिक्षा सचिव की अनुमति के बिना डायरैक्टर ने कर दिए 60 टीचरों के तबादले

Edited By Priyanka rana,Updated: 26 Aug, 2019 10:22 AM

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शिक्षा विभाग के निदेशक द्वारा सरकारी स्कूलों में कई वर्षों से जमे टीचर्स के साथ हमदर्दी की जा रही है।

चंडीगढ़(वैभव) : शिक्षा विभाग के निदेशक द्वारा सरकारी स्कूलों में कई वर्षों से जमे टीचर्स के साथ हमदर्दी की जा रही है। डायरैक्टर हायर एजुकेशन रूबिंदरजीत सिंह बराड़ ने 60 टीचर्स का ट्रांसफर कर दिया है। इसके लिए बराड़ ने शिक्षा सचिव बी.एल. शर्मा से अनुमति भी नहीं ली, जबकि नियमों के अनुसार अगर किसी टीचर की ट्रांसफर करनी हो तो उसके लिए शिक्षा सचिव भी की अनुमति लेना जरूरी है। 

विभाग द्वारा ट्रांसफर उन्हीं टीचर्स का किया गया है जो गांवों के सरकारी स्कूल में हैं, जिसकी वजह से जो टीचर जिस स्कूल में ज्वाइन हुए थे, वह लंबे समय बाद भी उसी स्कूल में जमे हुए हैं। सूत्रों के अनुसार स्कूलों में कई टीचर्स ऐसे हैं जो करीब 10 वर्षों से ज्यादा समय से एक ही स्कूल में हैं और उन्हें किसी दूसरे स्कूल में ट्रांसफर किया जा रहा है। यह सब इसलिए हो रहा है, क्योंकि वह या तो उस स्कूल की प्रिंसीपल के खास हैं या फिर उच्च अधिकारियों के साथ अच्छे संबंध हैं। 

जे.बी.टी. और एन.टी.टी. धारकों का किया गया ट्रांसफर :
शिक्षा विभाग द्वारा मंगलवार को 60 जे.बी.टी. और एन.टी.टी. का ट्रांसफर किया गया है। इन टीचर्स में एक भी सैक्टर के टॉप सरकारी स्कूलों के टीचर्स नहीं है। इसी वजह से ट्रांसफर पर उंगलियां उठनी शुरू हो गई हैं। विभाग ने गांवों के स्कूलों में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए और गांवों-कॉलोनियों के स्कूलों को ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए प्लानिंग की थी, लेकिन यह प्लानिंग केवल हवा-हवाई ही की गई। 

शहर के टॉप स्कूलों के टीचर्स को गांवों और कॉलोनियों के स्कूलों में भेजेंगे, लेकिन मंगलवार को हुई टीचर्स की ट्रांसफर ने शिक्षा विभाग की सोच को भी उजागर कर दिया है। ट्रांसफर किए शिक्षकों की सूची पर अगर गौर की जाए तो इन टीचर्स में केवल गांवों और कॉलोनियों के हैं और इनका तबादला भी कई गांवों-कॉलोनियों और कुछ सैक्टरों के स्कूलों में किया गया है।

सैक्टरों के स्कूलों के टीचरों का नहीं होता जल्दी से तबादला :
सूत्रों के अनुसार विभाग जल्दी से सैक्टरों के स्कूलों के टीचर्स का तबादला नहीं करता है। अगर विभाग द्वारा ट्रांसफर किए गए टीचर्स के पिछले 10 वर्षों के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो इक्का-दुक्का टीचर्स का ही तबादला किया गया है। इससे साफ होता है कि सैक्टरों में पढ़ाने वाले टीचर्स को विभाग खुद ही शिफ्ट करना नहीं चाहता है। 

10वीं-12वीं के रिजल्ट के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो गांवों के स्कूलों के रिजल्ट का ग्राफ हमेशा नीचे ही रहा है। एजुकेशन पॉलिसी के अनुसार टीचर्स का ही 5 वर्ष में तबादला होना चाहिए। यहां टीचर्स को 10 वर्षों बाद भी शिफ्ट नहीं किया जा रहा है। जिन टीचर्स का ट्रांसफर हो रहा है, वह गांवों के स्कूलों में पढ़ाने वाले टीचर्स शामिल हैं। 

इन स्कूलों से एक भी टीचर की नहीं हुई बदली :
शहर के टॉप स्कूल जी.एम.एस.एस.एस.-16, जी.एम.एस.एस.एस.-33, जी.एम.एस.एस.एस.-35, जी.एम.एस.एस.एस.-37, जी.जी.एम.एस.एस.एस.-18, जी.एम.एस.एस.एस.-19, जी.एम.एस.एस. एस-32, जी.एम.एस.एस.एस.-46 से एक भी टीचर का ट्रांसफर नहीं किया गया है। ट्रांसफर ऑर्डर होते ही इसका विरोध भी होना शुरू हो गया है। 

एक टीचर ने बताया कि विभाग द्वारा ट्रांसफर में पारदर्शिता नहीं बरती गई है। सैक्टर में ऐसे बहुत टीचर्स हैं जिन्हें ट्रांसफर नहीं मिला है। सैंट्रल सैक्टर्स में आने वाले स्कूलों में कई सालों से बैठे टीचर्स का ट्रांसफर क्यों नहीं किया गया। इन स्कूलों के प्रिंसीपल की शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ अच्छी बनती है। इसी वजह से उन्हें ट्रांसफर नहीं दिया जाता है। 

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