संस्कार के लिए इंतजार, मॉर्चरी में सड़ती रहती हैं लावारिस लाशें

Edited By bhavita joshi,Updated: 01 Oct, 2018 08:31 AM

waiting for rituals riddles in mortuary unclaimed corpses

लावारिस लाशों को लेकर चंडीगढ़ पुलिस का रवैया बेरुखी वाला है।

चंडीगढ (बृजेन्द्र) : लावारिस लाशों को लेकर चंडीगढ़ पुलिस का रवैया बेरुखी वाला है। लाशें कई दिन तक अस्पतालों की मॉर्चरी में पड़ी सड़ती रहती हैं। 7 दिन के भीतर लावारिस लाशों का पोस्टमार्टम कर संस्कार करवाने के पुलिस के दावे भी खोखले साबित हो रहे हैं। यही नहीं दो दिन की बच्ची को दफनाने की बजाय 26 जून को इलैक्ट्रिक मशीन में जला दिया गया, जिसकी शिकायत भी पुलिस चौकी सैक्टर-24 में की जा चुकी है। शव धनास के जंगल में मिला था। 1960 की यू.टी. की नोटीफिकेशन है कि 12 वर्ष तक के बच्चे को दफनाया जाएगा।

थाना पुलिस ही करती है लापरवाही

देरी से होने वाले अंतिम संस्कार के पीछे इन लावारिस लाशों का समय पर पोस्टमार्टम होना ही अहम वजह है। इसमें थाना पुलिस की लापरवाही सामने आती है। लावारिस लाश मिलने पर पुलिस सी.आर.पी.सी. 174 के तहत कार्रवाई कर शव को जी.एम.एस.एच.-16, पी.जी.आई. या जी.एम.सी.एच.-32 में रखवा देती है। लाश वहां कई दिन तक पड़ी सड़ती रहती है और जब उसका पोस्टमार्टम होता है तब जाकर सामाजिक संस्थाओं के जरिए उनका अंतिम संस्कार किया जाता है। 

आर.टी.आई. में नहीं दी सही जानकारी
शहर में 20 साल से हजारों लावारिस लाशों का दाह-संस्कार कर चुके समाजसेवी मदन लाल वशिष्ठ ने कहा कि पुलिस से इस मामले में आर.टी.आई. के तहत जानकारी भी मांगी गई जो सही नहीं दी गई। 

42 दिन बाद हुआ संस्कार
मदन लाल ने वर्ष 2018 में 1 जनवरी से लेकर 12 सितम्बर तक की जानकारी देते हुए बताया है कि इस दौरान 75 लावारिस लाशों का संस्कार किया गया, जिनमें  4 नवजात बच्चों को छोड़कर बाकी लाशों का संस्कार कई दिन की देरी से हुआ। इसमें एक केस में अंतिम संस्कार में 42 दिन तक की देरी थी। मदन लाल के पास बाकायदा शहर के विभिन्न थानों में लावारिस लाशों के मिलने पर दर्ज डी.डी.आर. समेत उनके संस्कार में हुई देरी के आंकड़े मौजूद हैं।

अफसरों को दी देरी से संस्कार की 4 शिकायतें
मदन लाल वशिष्ठ ने इसी वर्ष 4 शिकायतें  भी ई-मेल के जरिए यू.टी. पुलिस के आला अफसरों को दी थी।  पहली शिकायत 23 जनवरी को भेजी गई थी। इसमें कहा गया कि थाना 39 में 15 दिसम्बर, 2017 को अज्ञात व्यक्ति के शव मिलने की डी.डी.आर. दर्ज की गई जबकि उसका संस्कार इसी वर्ष 17 जनवरी को 34 दिन बाद हुआ। इसी तरह 27 फरवरी की शिकायत के मुताबिक इसी वर्ष 5 जनवरी को सैक्टर-19 थाने में अज्ञात के शव की डी.डी.आर. दर्ज हुई और 29 दिन की देरी से 2 फरवरी को उसका संस्कार हुआ। ठीक ऐसे ही 13 अप्रैल की शिकायत में 27 फरवरी को मलोया थाने में अज्ञात के शव की डी.डी.आर. दर्ज हुई और 42 दिन की देरी से 9 अप्रैल को उसका संस्कार हुआ।

चौथी शिकायत दो शवों के देरी से संस्कार से जुड़ी थी। 12 मई को दी उस शिकायत में कहा गया था कि 12 अप्रैल को सैक्टर 26 थाने में अज्ञात के शव की डी.डी.आर. दर्ज हुई मगर 28 दिन की देरी से 9 मई को संस्कार हुआ। इसी तरह 16 अप्रैल को मलोया थाने में अज्ञात शव की डी.डी.आर. हुई व 25 दिन की देरी से 10 मई को संस्कार हुआ।

2 दिन की बच्ची का शव जलाने के मामले की जांच जारी
मदन लाल वशिष्ठ ने बताया कि यूं तो हिंदू मान्यता के हिसाब से छोटे बच्चों की मृत्यु पर उन्हें दफनाया जाता है मगर हाल ही में एक संस्था ने 2 दिन की लावारिस बच्ची का शव जला दिया। जिसे लेकर सैक्टर-24 पुलिस चौकी में शिकायत भी आई। इस पर पुलिस ने नगर निगम से पूछा है कि क्या कोई ऐसा नियम है कि छोटे बच्चों को मरने पर दफनाया ही जा सकता है। निगम का जवाब आने के बाद पुलिस आगामी कार्रवाई करेगी।

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