छत्तीसगढ़ में शराब के दाम में मनमानी बढ़ोतरी से बढ़ा राजस्व: प्रदेश भाजपाध्यक्ष अरुण साव

Edited By PTI News Agency,Updated: 09 May, 2023 05:35 PM

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रायपुर, नौ मई (भाषा) छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि राज्य में शराब की कीमतों में मनमानी बढ़ोतरी के कारण ही राजस्व में इजाफा हुआ है, इसलिए मुख्यमंत्री का यह बयान बेबुनियाद है कि घोटाला नहीं हुआ है।

रायपुर, नौ मई (भाषा) छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि राज्य में शराब की कीमतों में मनमानी बढ़ोतरी के कारण ही राजस्व में इजाफा हुआ है, इसलिए मुख्यमंत्री का यह बयान बेबुनियाद है कि घोटाला नहीं हुआ है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को कहा था, ''शराब से राजस्व संग्रह 2017-18 में 3,900 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 में छह हजार करोड़ रुपये हो गया, जो स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि भ्रष्टाचार के कारण राजस्व संग्रह में गिरावट आने का एजेंसी (ईडी) का दावा निराधार है।'' भाजपा के प्रदेश कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान साव ने कहा, ''हजारों करोड़ रुपये के शराब घोटाले के संबंध में दिया गया मुख्यमंत्री जी का बयान बेबुनियाद और निराधार है। शराब का मूल्य आपने (कांग्रेस ने) मनमाने तरीके से बढ़ाए। आप (कांग्रेस) जिस शराब नीति का विरोध कर रहे थी आप आज उसी नीति पर चल रहे हैं।'' उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के सरकार के दौरान शराब दुकानों में दो अलग-अलग काउंटर नहीं होते थे।
साव ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि उसने संगठित अपराध गिरोह बनाकर शराब को डिस्टलरी से सीधे दुकान में भेजा और इस दौरान नकली होलोग्राम का इस्तेमाल किया गया।
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में नकली शराब बेचा गया और लोगों के जीवन और स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया गया।
गौरतलब है कि ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने छह मई को कथित शराब घोटाले के मामले में कांग्रेस नेता और रायपुर के महापौर एजाज ढेबर के भाई शराब कारोबारी अनवर ढेबर को गिरफ्तार किया था।
अनवर की रिमांड की मांग को लेकर यहां एक विशेष अदालत में दायर अपने रिमांड आवेदन में ईडी ने दावा किया कि राज्य सरकार के उच्च-स्तरीय अधिकारियों, निजी व्यक्तियों और राजनीति से जुड़े लोगों के एक गिरोह ने छत्तीसगढ़ में शराब के कारोबार में 2019-22 के बीच दो हजार करोड़ रुपये से अधिक का भ्रष्टाचार किया।
राज्य में भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को कहा था, ''राज्य में 2017 में निगम के माध्यम से शराब बेचने का निर्णय रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार का था। 2017 से राज्य में शराब व्यापार से जुड़ी कई डिस्टिलरी, अधिकारियों, परिवहन व्यवसायियों और प्लेसमेंट एजेंसियों में कोई बदलाव नहीं किया गया।’’
बघेल ने कहा कि शराब से राजस्व संग्रह 2017-18 में 3,900 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 में छह हजार करोड़ रुपये हो गया, जो स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि एजेंसी का यह दावा कि भ्रष्टाचार के कारण राजस्व संग्रह में गिरावट हुई है निराधार है।
उन्होंने कहा था कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विभाग ने राज्य के आबकारी विभाग (जो शराब का कारोबार करता है) का ऑडिट किया और उसे क्लीन चिट दी।
मुख्यमंत्री ने कहा था, ''विपक्षी दल भाजपा के पास राज्य में उठाने के लिए कोई मुद्दा नहीं बचा है। राज्य में चुनाव नजदीक है इसलिए हताशा में आकर वह ईडी का इस्तेमाल राज्य सरकार को बदनाम करने की साजिश रचने में कर रही है।''

यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
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