जीवन को समृद्ध बनाने के लिए ध्यान दें इन खास बातों पर, कम उम्र में कर सकते हैं लक्ष्यों को हासिल

Edited By Deepender Thakur,Updated: 28 Jul, 2022 10:11 PM

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प्रत्येक सफल व्यक्ति अपने जीवन में आदतों की एक श्रृंखला बनाता है जो उन्हें बढ़ने और अपने लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करती है। इस लेख का मूल उद्देश्य पाठकों के भीतर कुछ आदतों को विकसित करने में मदद करना है ताकि वह करोड़पति बन सकें।

नई दिल्ली। प्रत्येक सफल व्यक्ति अपने जीवन में आदतों की एक श्रृंखला बनाता है जो उन्हें बढ़ने और अपने लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करती है। इस लेख का मूल उद्देश्य पाठकों के भीतर कुछ आदतों को विकसित करने में मदद करना है ताकि वह करोड़पति बन सकें। तीस साल की कम उम्र में खुद की मेहनत के बल पर करोड़पति बने एक्ता कॉटेक प्राइवेट लिमिटेड के एमडी, श्री प्रिंस राज श्रीवास्तव का कहना है कि "प्रक्रिया पर भरोसा करना बहुत अच्छा है लेकिन किसी को भी इस प्रक्रिया में गोता लगाने और आवश्यक परिवर्तन करने से नहीं रोकना चाहिए। प्रिंस राज श्रीवास्तव ने अपने जीवन को समृद्ध बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण आदतें अपनायी और उन्हें हमारे साथ साझा किया। 

सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, बुद्धिमानी से चीजों का चुनाव करें
हमारा हर फैसला या प्रत्येक चुनाव हमें बताता है कि हम कौन हैं और हमें यह तय करने का मौका भी देता हैं कि हम कौन बनेंगे। बीस साल की उम्र में लोग आमतौर पर भीड़ का अनुसरण करने के जाल में पड़ जाते हैं; प्रिंस ने साझा किया कि उनके जीवन का एक सिद्धांत.... अलग खड़ा होना था। उन्होंने इस सिद्धांत पर चलकर सबसे पहले अपने विकल्पों को तोला और बुद्धिमानी से उनका चयन कर सटीक निर्णय लेना शुरू कर दिया। उदाहरण के तौर पर, श्री राज ने बीस वर्ष की उम्र में कॉलेज के छात्र रहते हुए....एक रेस्तरां व्यवसाय में अपना पहला निवेश किया। इस दौरान इस व्यवसाय से मिला लाभ, वह सफलता नहीं थी जिसका वह पीछा कर रहे बल्कि यह वह बेशकीमती अनुभव था जो उन्हें इस व्यवसाय के प्रबंधन से प्राप्त हो रहा था। 

याद रखें किसी भी चीज को जल्दी शुरू करना चाहिए, चाहे वह आपका दिन हो या आपकी निवेश की यात्रा।
कंपाउंडिंग का सिद्धांत हर जगह काम करता है। प्रिंस का पहला रेस्तरां व्यवसाय रातोंरात सफल नहीं हो पाया। एक साल के बाद भी इस व्यवसाय में जारी ठहराव के कारण उन्हें इसे बेचना पड़ा। लेकिन इस बीच एक बात जो सबसे ज्यादा मायने रखती है वो है इस व्यवसाय को बनाने में उनके द्वारा किया गया प्रयास। उन्होंने इस कार्य में अपना समय और कड़ी मेहनत का निवेश किया जिसने आगे चलकर उन्हें एक सफल व्यवसायी बनने की मूल शक्तियों से रुबरु किया। कानून में करियर से लेकर कंपनी को सफलतापूर्वक चलाने तक, श्री राज ने एक लंबा सफर तय किया है। आज उनका यही सफर अनेकों युवाओं का मार्गदर्शन कर रहा है। 

हमेशा 'क्यों' से शुरू करें
जब मन लाभ की कीमत को समझता है, तो वह वहां पहुंचने के लिए सभी बाधाओं को दूर करने का प्रयास करता है। 'क्यों' फैक्टर के बारे में पूछे जाने पर प्रिंस कहते हैं कि “मनचाही स्वतंत्रता वित्तीय स्वतंत्रता के साथ आती है, और हर किसी को इसे प्राप्त करने की इच्छा होनी चाहिए। आपको अपने समय को नियंत्रित करने का एक बेहतर तरीका ढूंढना चाहिए बजाय इसके कि जीवन आप पर जो कुछ भी थोपे, आप बस उससे निकलने की जद्दोजहद करते रहें। मेरा 'क्यों' फैक्टर एक सुखी स्वतंत्र जीवन जीना है, इसलिए मैं अभी भी इन छोटी-छोटी आदतों का प्रचार करता हूँ।"
'क्यों' के साथ आता है 'कैसे'? एक स्पष्ट दिमागी नक्शा तैयार करें और अनुसरण करने के लिए एक प्रणाली बनाएं। 

कंपनी शुरू करते समय, एमडी के जिम्मेदारियों को समझते हुए उन्होंने एक स्वस्थ कार्य वातावरण बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जो लंबे समय में परिणाम देने योग्य बना। इस दौरान उन्होंने अपने कर्मचारियों का विश्वास बनाए रखने के लिए दैनिक संचार से जुड़े कई छोटे लेकिन महत्वपूर्ण प्रयास किए। धीरे-धीरे, मेल-मिलाप की इस डोर से वह अपने प्रत्येक कर्मचारी को जोड़ते चले गए जिसका सकारात्मक असर हाल में आई कोरोना महामारी जैसे संकट के समय में देखने को मिला। उनके नेतृत्व और समूह भावना ने एक बार फिर से उनके समर्पण और सेवा के स्वभाव को साबित कर दिया। एकता कॉन्टेक ऐसे समय में लोगों की मदद के लिए आगे आता नजर आया जब अन्य लोग इस मुश्किल घड़ी में डूबते नजर आ रहे थे।

यह हमें धन प्रबंधन की संगठनात्मक कला को समझने में भी मदद करता है।
ठीक हमारे देश की स्थिति की तरह जहां बढ़ती मुद्रास्फीति के समय संतुलित आर्थिकी एक बेहतरीन उद्हारण है। अगर हम इसके तकनीकी पहलु में जाते हैं, तो इसका व्याख्यान लंबा होगा लेकिन हम सभी अपने दैनिक जीवन में  अवचेतना रूप से धन प्रबंधन के सिद्धांतों का उपयोग करते हैं। सही मायनों में देखा जाए तो यह एक बहुत ही रोचक विषय है और एक परिकलित निवेश की आदत को विकसित करने का एक बेहतर उपकरण भी। ऐसा करने के सबसे बढ़ियां तरीकों में से एक है व्यवस्थित रूप से पढ़ना। प्रिंस राज कहते हैं कि हर रोज 10 मिनट पढ़ने की आदत विकसित करना और अपने आस पास के पर्यावरण को लेकर सचेत रहना, व्यक्तिगत जीवन में बड़ा अंतर ला सकता है।

जब भी हम अपने दिमाग को प्रशिक्षित करने की बात करते हैं तो शरीर को प्रशिक्षित करने के महत्व पर भी हमे ध्यान देना चाहिए। पौष्टिक आहार के साथ नियमित रूप से व्यायाम करने से किसी भी स्थिति में हमारे शरीर का रिएक्शन टाइम बढ़ जाता है। ऐसे में कोई भी निर्देशित मूवमेंट हमारे मस्तिष्क को सकारात्मक संकेत भेजता है जिसके परिणामस्वरूप हमारी इच्छाशक्ति और एकाग्रता में काफी वृद्धि होती है।

ध्यान को दिनचर्या में शामिल करने से यह हमारे जीवन में जादू की तरह काम करता है।
लेकिन यह विचार स्वाभाविक रूप से हमारे अंदर उपस्थित और जागरूक होना चाहिए। दरअसल हम एक विचलित दुनिया में रहते हैं जहाँ हमारा ध्यान 30-सेकंड के शॉर्ट्स से 15-सेकंड की रील पर जाता रहता है। 

लिखने और नोट्स बनाने जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र को भी एक अच्छी आदत के रुप में प्रिंस राज द्वारा जिक्र किया गया है। 
हर उद्योग वास्तव में सीखने की एक नयी तरंग पैदा करता है, और हम इसके हर हिस्से को सिर्फ सुनने या बात करने से याद नहीं रख सकते हैं। चीजों को लिखना उन्हें ठोस बनाता है और आवश्यकता पड़ने पर मस्तिष्क को उन्हें समझने में मदद करता है। पहली बार में कुछ भी लिखना या उसके नोट्स बनाना बहुत ज्यादा काम की तरह लगता है, लेकिन एक बार जब आप इसे शुरू करते हैं, तो आपको इसकी आदत पड़ जाती है और फिर आप इसको अधिक से अधिक करने में सक्षम हो जाते हैं। 

अपनी व्यस्त जीवन शैली में हम अक्सर ब्रेक लेने के महत्व को भूल जाते हैं।
ब्रेक लेने से ज्यादा महत्वपूर्ण काम हमेशा होगा लेकिन वर्क-लाइफ बैलेंस को बनाए रखना भी उतना ही जरूरी है। बहुत से लोग बर्नआउट सिंड्रोम जैसे दुष्परिणामों के बारे में सोचे बिना अपने काम से शादी रुपी बंधन की तरह बंधते जा रहें है। दरअसल सफलता का मार्ग केवल कड़ी मेहनत से होकर नहीं गुजरता.... इसका आंतरिक शांति और हमारे कल्याण से बहुत गहरा संबंध है। जब हम सीमाएँ निर्धारित करते हैं और अपनी व्यस्तता के बीच ब्रेक लेना सामान्य करते हैं तो हमारी उत्पादकता यानि किसी भी कार्य को करने की हमारी क्षमता अधिक हो जाती है।

आशा यानि होप पर जोर देते हुए हमें कठिन से कठिन समय में भी आशा बनाए रखनी चाहिए।
असफलता छिपे हुए एक वरदान के समान है और हर किसी को इसके लिए आभारी होना चाहिए। एक अच्छा निवेशक, उद्यमी या इस रास्ते का अनुसरण करने वाला कोई भी व्यक्ति इन तमाम अवसरों का लाभ उठाना जानता है इसलिए जीवन और कार्य के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ें”

अंत में, निरंतरता कुंजी है
चाहे आप कुछ भी करें। सफलता की सीढ़ियां चढ़ने वाला हर शख्स इस राज के बारे में जानता है। आखिरकार, जीवन हर किसी के लिए एक चुनौती है और अच्छी आदतें आपके पक्ष में हवाओं के रुख को बदल सकती हैं। हम आशा करते हैं कि आप हमारे इन युवा करोड़पति के साथ इस अनूठे लगाव को महसूस कर रहें होंगे। अब समय आ गया है कि आप सही तरह के निवेश के साथ अपने सपनों को साकार करें और हमारे द्वारा बताई गई इन तमाम बातों को हमेशा अपने जहन में रखें।

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