ऐसे कार्य न करें अन्यथा नरक आपकी प्रतीक्षा कर रहा है

Edited By ,Updated: 29 Jul, 2016 10:54 AM

Motivational context

किसी भी अन्य वस्तु की तरह सृष्टि सुव्यवस्थित रूप से यथाक्रम है, वस्तुतः कुछ मौलिक नियमों पर आधारित है। जिसका किसी भी प्रकार से उल्लंघन नहीं किया जा सकता है। कर्मो का नियम प्रधान होता है, यहां तक कि देव-देवियां जो क़ि इस सृष्टि को चलाते हैं, खुद भी इस

किसी भी अन्य वस्तु की तरह सृष्टि सुव्यवस्थित रूप से यथाक्रम है, वस्तुतः कुछ मौलिक नियमों पर आधारित है। जिसका किसी भी प्रकार से उल्लंघन नहीं किया जा सकता है। कर्मो का नियम प्रधान होता है, यहां तक कि देव-देवियां जो क़ि इस सृष्टि को चलाते हैं, खुद भी इस नियम से बंधे हुए हैं। तथापि आधुनिक मनुष्य सृष्टि से ऊपर अपनी प्रधानता दर्शाता है और मूर्खतापूर्वक अपने लिए काल्पनिक संसार का निर्माण करने हेतु सृष्टि के नियमो क़ी उपेक्षा करता है, फलतः पतन के चक्र में फंस जाता है।भगवद गीता में भी कर्मों के नियमों की अचूक मान्यता का वर्णन है। सर्वोत्कृष्ट कथन 'आप जो बोएंगे, वही काटेंगे' कर्मों के नियम कि इस अवधारणा को साकार करता है। 
 
प्रत्येक कार्य एवं कर्म आपको चाहे कितना भी तुच्छ प्रतीत हो परंतु उसका फल आपको जरूर मिलता है। चूंकि प्रत्येक कार्य का प्रारंभ एक विचार से होता है इसलिए ये आपकी विचार प्रक्रिया ही है जो एक मनुष्य का दूसरे मनुष्य से भेद कराती है। आपकी चिंतन प्रक्रिया या तो स्वार्थी होगी या निष्काम। निष्काम कर्म आपको सृष्टि की रक्षा एवं पालन की तरफ ले जाएगा और बदले में शांति, सद्भावना अथवा आरोग्यता में प्रवृत्त करवाएगा। स्वार्थी विचार विषैला वातावरण उत्पन्न करता है, सर्वदा असंतुलन, अराजकता, प्राकृतिक विपत्तियों की ओर ले जाता है एवं बीमारियों का परिचारक होता है। चलिए वर्तमान परिदृश्य की ओर देखते हैं अगर आप अपने आस-पास देखेंगे तो पाएंगे कि भटकते हुए जानवर उपेक्षित हैं और मरने एवं सड़ने के लिए उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। उनके लिए कुछ करना तो दूर उनके बारे में कोई सोचता तक नहीं है। 
 
 
अपनी छठी इंद्री के लिए विश्वसनीय और मनुष्य के सबसे अच्छा दोस्त कहलाने वाले कुत्ते आज न केवल उपेक्षित, प्रताड़ित, शोषित एवं अपसर्जित हैं अपितु इनकी निर्मम हत्या हो रही है और इन्हें जिंदा जलाया भी जा रहा है। जंगली जानवरो का दुर्भाग्य भी इनसे कुछ अलग नहीं है। मनुष्य के स्वार्थी विचार ने शहरीकरण एवं वनोन्मूलन का रूप ले लिया है, फलतः बंदरों को भूखा और बेघर छोड़ दिया गया है। अपराधी घोषित करके, अपराधी कहलाए जाने वाले इन जानवरों को बिजली से जलाया और बंदूकों से मारा जा रहा है। यहां मनुष्य ये भूल रहा है कि न केवल वैदिक समाज अपितु मायन, ग्रीक और रोमन समाज भी बंदरों को परम पूजनीय मानते थे। प्राणी की धार्मिक निष्ठा कुछ भी हो, प्रत्येक मनुष्य का ये धर्म है कि वह अपने से कमजोर की रक्षा एवं भरण-पोषण करे। कर्मों के नियम के लिए संस्कृति एवं भौगोलिक सीमा सर्वव्यापी है। 
 
 
जानवरों को कष्ट पहुंचाना या किसी और द्वारा कष्ट पहुंचाते हुए देखने से भी दारुण कार्मिक प्रतिक्रिया होती है। जिसका परिणाम निःसंदेह कष्टपूर्वक जीवन, अस्वस्थता और आपत्ति होती है। अगर इस प्रकार की क्रूरता दृढ़ रही तो बीमारी एवं रोग और प्रचंड होंगे, मनुष्यों के कष्ट और आपत्तियां शिखर पर पहुंच जाएंगी और वापस संतुलन लाने के लिए सृष्टि अपना प्रतिशोध लेगी। सनातन क्रिया का आधारभूत पहलु सेवा और दान, कष्ट और विपत्तियों का अंत करने की कुंजी है, सनातन क्रिया अपनाए कदाचित करुणा का छोटा सा कार्य भी परिवर्तन लाने में सक्षम है। सतर्क एवं जागरूक हो जाइए अन्यथा नरक आपकी प्रतीक्षा कर रहा है।
 
योगी अश्विनी जी
www.dhyanfoundation.com.

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!