वैशाख मास के मध्य में सूर्य मेष में व चंद्रमा वृषभ राशि में स्थित होकर उच्च के होने से यह श्रेष्ठ समय माना गया है। चंद्रमा व सूर्य प्रधान ग्रहों की उच्च स्थिति होने से सभी स्थितियां अनुकूल होती हैं। इसके कारण वार,
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वैशाख मास के मध्य में सूर्य मेष में व चंद्रमा वृषभ राशि में स्थित होकर उच्च के होने से यह श्रेष्ठ समय माना गया है। चंद्रमा व सूर्य प्रधान ग्रहों की उच्च स्थिति होने से सभी स्थितियां अनुकूल होती हैं। इसके कारण वार, नक्षत्र, योग, करण आदि का दोष नहीं लगता। इस माह में विशेष शिव पूजन, व्रत व उपाय से सभी कामों में जीत मिलती है, कठिन और असाध्य रोगों का नाश होता है, पारिवारिक संबंध सुदृढ़ होते हैं।

पूजन विधि: प्रातः काल में शिवालय जाकर सर्वप्रथम शिवलिंग का जलाभिषेक करके उसका दशोपचार पूजन करें। केसर मिले गौघृत का दीप करें, चंदन से धूप करें, बिल्वपत्र और लाल रंग के फूल चढ़ाएं, चंदन से तिलक करें, दूध-शहद चढ़ाएं व मावे की मिठाई का भोग लगाएं तथा 1 माला इस विशिष्ट मंत्र की जपें। पूजन के बाद भोग कन्या को खिलाएं।

पूजन मंत्र: ॐ महाकालेश्वराय नम ॥

उपाय
रोगों के नाश हेतु शिवलिंग पर दही-शक्कर का घोल चढ़ाएं।
सुदृढ़ पारिवारिक संबंधों हेतु मौली से शंकर-पार्वती का गठबंधन कराएं।
सर्व कार्यों में जीत हेतु शिवलिंग पर चढ़ी लौकी किसी गाय को खिलाएं।

दान
इस महीने में दान का अन्य महीनों से अधिक महत्व है। मान्यता के अनुसार जो व्यक्ति वैशाख मास में दिल खोलकर दान करता है, वे कभी गरीब नहीं होता।

खान-पान का रखें ख्याल
इस महीने में ग्रीष्म ऋतु तीव्र होने लगती है इसलिए संचारी बीमारियां भी बढ़ जाती हैं। एक महीने तक जितना अधिक हो सके जल का सेवन करें। तेल और तेल से बनी चीज़ों को कम से कम खाएं। सत्तू और रसदार फलों को खाने से व्यक्ति ताकतवर बनता है। सुबह जल्दी उठें और रात को जल्दी सोएं।
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