Edited By Jyoti,Updated: 20 Mar, 2021 12:41 PM
यूं तो अयोध्या को मंदिरों का नगर माना जाता है। यहां प्राचीन मंदिरों और सिद्ध स्थानों की कोई कमी नहीं है। वर्तमान समय की बता करें तो अब यहां श्री राम जन्म भूमि पर भव्य राम मंदिर का निर्माण होने जा रहा है
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यूं तो अयोध्या को मंदिरों का नगर माना जाता है। यहां प्राचीन मंदिरों और सिद्ध स्थानों की कोई कमी नहीं है। वर्तमान समय की बता करें तो अब यहां श्री राम जन्म भूमि पर भव्य राम मंदिर का निर्माण होने जा रहा है, जिस पर हर भारतीय की नजर टिकी हुई। लेकिन क्या आप जानते हैं धर्म नगरी अयोध्या में विभिन्न ऐसे मंदिर भवन व महल और भी हैं जिनका सीधा संबंध मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम से है। उन्हीं में से एक है अयोध्या का प्राचीन कनक भवन मंदिर। इस भवन में सुंदर निर्माण शैली और विशाल प्रांगण के साथ-साथ स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण भी देखने को मिलता है। मंदिर भवन को लेकर मान्यता है कि श्री राम और देवी सीता के विवाह के बाद माता कैकेई ने सीता जी को मुंह दिखाई में उपहार स्वरूप यह महल दिया था। जिसे महल को श्री राम और माता सीता ने अपना निवास स्थान बनाया था।
इस महल की सुंदरता की बात करें तो त्रेता युग में यह भवन 14 कोस में फैली अयोध्या नगरी का सबसे भव्य और दिव्य महल माना जाता था। धर्म शास्त्रों के अनुसार इस महल का निर्माण माता कैकेई के अनुरोध पर राजा दशरथ ने विश्वकर्मा की देखरेख में श्रेष्ठ शिल्प कारों और कारीगरों से करवाया था। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार कनक भवन के किसी भी उपभवन में पुरुषों का प्रवेश वर्जित था। श्री राम के परम भक्त हनुमान जी को भी बहुत अनुनय विनय करने के बाद आंगन में स्थान मिला था। इसी मान्यता के चलते गृभगृह में श्रीराम-जानकी के अलावा किसी अन्य देवता का विग्रह स्थापित नहीं किया गया है। कहा जाता है इस महल में आज भी श्री राम और माता सीता निवास करते हैं। इसीलिए हर वर्ष रामनवमी के दिन दूरदराज से श्रद्धालु अयोध्या आते हैं और बड़ी धूमधाम से श्री राम जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त भगवान श्री राम को सजीव स्वरूप मानकर सावन में उन्हें झूला झुलाया जाता है।
त्रेता युग से कलयुग तक अयोध्या कई बार उजड़ी और बसी। लेकिन शास्त्रों और प्राचीन धार्मिक इतिहास के मुताबिक इस स्थान को कनक भवन माना गया। वर्तमान के कनक भवन का निर्माण ओरछा के राजा सवाई महेंद्र प्रताप सिंह की पत्नी महारानी ब्रिज भानु की देखरेख में कराया गया। सन 1981 में इस महल में प्राचीन मूर्तियों की पुनः स्थापना के साथ-साथ श्री राम सीता की दो और विग्रहों की स्थापना की गई। मंदिर के गर्भगृह के पास ही शयनकक्ष भी है जहां श्री राम आज भी शयन करते हैं। मान्यता है कि श्री राम माता जानकी के साथ प्रतिदिन चौपड़ भी खेलते हैं इसके लिए कनक भवन प्रांगण में चौपड़ की भी व्यवस्था की गई है।