सतयुग काल के इस तालाब का रहस्य, क्या आप जानते हैं?

Edited By Jyoti,Updated: 14 Oct, 2021 06:22 PM

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बैतूल: अखण्ड भारत के केंद्र बिंदु बेतूल जिले की मासोद ग्राम पंचायत की सीमा में बना सतयुग काल का एक तालाब और उसमें मिलने वाली भुनी हुई मछलियों की कहानी को प्रमाणिकता प्रदान करता मासोद

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बैतूल: अखण्ड भारत के केंद्र बिंदु बेतूल जिले की मासोद ग्राम पंचायत की सीमा में बना सतयुग काल का एक तालाब और उसमें मिलने वाली भुनी हुई मछलियों की कहानी को प्रमाणिकता प्रदान करता मासोद का दमयंती तालाब आज भी लोगो की आस्था एवं विश्वास का केंद्र हैं। बैतूल जिले के पत्रकार एवं लेखक रामकिशोर दयाराम पवार की पुस्तक मेरा बैतूल में प्रकाशित एक ऐतिहासिक पौराणिक कथा के अनुसार विदर्भ देश के राजा भीम की पुत्री दमयंती और निषध के राजा वीरसेन के पुत्र नल दोनों ही अति सुंदर थे। दोनों ही एक-दूसरे की प्रशंसा सुनकर बिना देखे ही एक-दूसरे से प्रेम करने लगे थे। दमयंती के स्वयंवर का आयोजन हुआ तो इन्द्र, वरुण, अग्नि तथा यम भी उसे प्राप्त करने के इच्छुक हो गए। वे चारों भी स्वयंवर में नल का ही रूप धारण आए।

महारानी दमयंती ने प्रतिकूल समय जानकर अपने दोनों बच्चों को विदर्भ देश की राजधानी कुण्डिनपुर भेज दिया। इधर नल जुए में अपना सर्वस्व हार गये। उन्होंने अपने शरीर के सारे वस्त्र-आभूषण उतार दिये। केवल एक वस्त्र पहनकर नगर से बाहर निकल पड़े दमयंती भी मात्र एक साड़ी में अपने पति के साथ निकल पड़ी। एक दिन जंगल में राजा नल ने सोने के पंख वाले कुछ पक्षी देखे। राजा नल ने सोचा, यदि इन्हें पकड़ लिया जाय तो इनको बेचकर निर्वाह करने के लिए कुछ धन कमाया जा सकता है। ऐसा सोचकर उन्होंने अपने पहने हुए वस्त्र खोलकर पक्षियों पर फेंका। वे पक्षी राजा नल के वस्त्र लेकर उड़ गये। अब राजा नल के पास तन ढकने के लिए भी वस्त्र नहीं रहा। नल अपने से ज्यादा दमयंती के दुःख से व्याकुल थे। जंगल में नल और दमयंती भूख और प्यास से व्याकुल हो रहे थे। 

नल ने बड़ी मेहनत करके तलाब से कुछ मछलियां पकड़ कर किसी भी तरह वही पर आग जलाकर मछलियों को भुन लिया। मछलियों को आग में भूनने से उस में राख लग गया था। नल दमयंती से बोले तुम यहीं ठहरों मैं इन मछलियों को तालाब से धोकर लाता हूँ, इनमे राख लगा हुआ है तब खायेंगे जैसे ही राजा नल मछलियों को पानी में धोने लगे वैसे ही सारी मछलियाँ जीवित होकर कूद पड़ी पास के तालाब के पानी में। राजा सिर्फ देखते ही रह गए। राजा ने दमयंती से पूछा कि आखिर मछलिया जीवित कैसे हो गईं। रानी में मछलियों के जीवित होने के पीछे की कहानी राजा को बताई लेकिन राजा ने रानी की एक बात भी नही सुनी और वे रानी के उस तालाब के पास छोड़ कर चले गए। आज भी रानी वही पर शिला के रूप मे मौजूद हैं। राजा नल और राजकुमारी दमयंती की कहानी तालाब में मिलने वाली मछलिया सुंनाती महसूस कराती है।

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