क्या आप भी चरणामृत पीने के बाद लगाते हैं सिर पर हाथ तो...

Edited By Jyoti,Updated: 24 Jun, 2021 05:23 PM

benefits of drinking charnamrit

सनातन धर्म में पंचामृत या चरणामृत को अधिक महत्व दिया जाता है। जिस तरह से मंदिर का प्रसाद ग्रहण करना शुभ व आवश्यक होता है ठीक उसी प्रकार की चरणामृत का सेवन करना भी अति आवश्यक

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
सनातन धर्म में पंचामृत या चरणामृत को अधिक महत्व दिया जाता है। जिस तरह से मंदिर का प्रसाद ग्रहण करना शुभ व आवश्यक होता है ठीक उसी प्रकार की चरणामृत का सेवन करना भी अति आवश्यक माना जाता है। यही कारण है कि मंदिर में प्रसाद से पहले चरणामृत दिया जाता है। परंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि चरणामृत और पंचामृत में अंतर होता है। लगभग सभी मंदिरों में चरणामृत तो मिलेगा परंतु पंचामृत बहुत ही कम धार्मिक स्थलों पर दिया जाता है खासतौर पर पंचामृत का इस्तेमाल विशेष तीज त्योहार पर किया जाता है हालांकि देश में कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जहां प्रतिदिन भी पंचामृत का प्रसाद वितरित किया जाता है। आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में चरणामृत से जुड़ी कुछ खास बातें बताने वाले हैं। तो आइए जानते हैं क्या है इससे जुड़ी खास बातें-

पौराणिक की किंवदंतियों के अनुसार तांबे के बर्तन में चढ़ना मत रूपी जल रखने से उसमें तांबे के औषधीय गुण आ जाते हैं। इसमें तुलसी का पत्ता तेल तथा दूसरे औषधीय तत्व मिले होते हैं पूर्णिया यही कारण है कि ज्यादातर मंदिरों व घर के पूजा स्थलों पर हमेशा तांबे के लोटे में तुलसी मिला जल ही रखा जाता है।

अक्सर देखा जाता है कि जब भी लोग चरणामृत ग्रहण करते हैं तो उसके बाद अपने सर पर हाथ सहलाते हैं। परंतु अगर शास्त्रीय मत की माने तो ऐसा करना अच्छा नहीं माना जाता। बल्कि कहा जाता है कि इससे नकारात्मक प्रभाव बढ़ता है। शास्त्रों में बताया गया है कि चरणामृत हमेशा दाएं हाथ से लेना चाहिए और श्रद्धा पूर्वक मन को शांत रखकर ग्रहण करना चाहिए।

आइए आप जानते हैं चरणामृत के सेवन से किस तरह के फायदे होते हैं

शास्त्रों में वर्णित चरणामृत से जुड़े श्लोक के अनुसार
अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम्। विष्णो पादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते।।
अर्थात भगवान विष्णु के चरणों का अमृत रूपी जल जिसे चरणामृत कहा जाता है से जातक के सभी तरह के पापों का नाश होता है। यह औषधि के समान माना जाता है जिसका सेवन करने से व्यक्ति को पृथ्वी पर पुनः जन्म नहीं लेना पड़ता।

प्रचलित मान्यताओं के अनुसार चरणामृत के जल को नियमित रूप से ग्रहण करने से कोई भयानक रोग जातक को नहीं जकड़ता।

चरणामृत में मिलाए जाने वाले तुलसी के पत्ते को एक एंटीबायोटिक मेडिसिन माना जाता है जिसके सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है तथा बीमारियों  का नाश होता है।

आयुर्वेद की दृष्टि के अनुसार यह पौरुष शक्ति को बढ़ाने में गुणकारी माना जाता है साथ ही इससे अनेक रोग नष्ट होते हैं।

चरणामृत से व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ कई अन्य लाभ प्राप्त होते हैं। बुद्धि व समरण शक्ति इसके सेवन से तेज होती है।

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