Edited By Niyati Bhandari,Updated: 10 Feb, 2022 01:09 PM
मैं एक सड़क के किनारे जा रहा था। एक बूढ़े जर्जर भिखारी ने मुझे रोका। लाल सुर्ख और आंसुओं में तैरती-सी आंखें, नीले होंठ, गंदे और
Inspirational Story: मैं एक सड़क के किनारे जा रहा था। एक बूढ़े जर्जर भिखारी ने मुझे रोका। लाल सुर्ख और आंसुओं में तैरती-सी आंखें, नीले होंठ, गंदे और गले हुए चिथड़े सड़ते हुए घाव...ओह, गरीबी ने कितने भयानक रूप से इस जीव को खा डाला है।
उसने अपना सड़ा हुआ, लाल, गंदा हाथ मेरे सामने फैला दिया और मदद के लिए गिड़गिड़ाया।
मैं एक-एक करके अपनी जेब टटोलने लगा। न बटुआ मिला, न घड़ी हाथ लगी, यहां तक कि रूमाल भी नदारद था...मैं अपने साथ कुछ भी
नहीं लाया था और भिखारी अब भी इंतजार कर रहा था।
उसका फैला हुआ हाथ बुरी तरह कांप रहा था, हिल रहा था। घबराकर, लज्जित हो मैंने वह गंदा, कांपता हुआ हाथ उमड़कर पकड़ लिया, ‘‘नाराज मत होना, मेरे दोस्त। मेरे पास भी कुछ नहीं है भाई।’’
भिखारी अपनी सुर्ख आंखों से एकटक मेरी ओर देखता रह गया। उसके नीले होंठ मुस्करा उठे और बदले में उसने मेरी ठंडी उंगलियां थाम लीं, ‘‘तो क्या हुआ भाई।’’
वह धीरे से बोला, ‘‘इसके लिए भी शुक्रिया, यह भी तो मुझे कुछ मिला मेरे भाई।’’ और मुझे ज्ञात हुआ कि मैंने भी अपने उस भाई से कुछ पा लिया था।
याद रखें- इस संसार में हमारे तो भगवान ही जीवन हैं भगवान ही प्राण हैं। प्रभु भक्त के अंदर हैं और भक्त भगवान के अंदर है।