Edited By Jyoti,Updated: 02 May, 2021 05:15 PM
प्राचीन समय के साथ-साथ वर्तमान समय में भी आचार्य चाणक्य को समाजशास्त्र को होनहार पंडित, कूटनीतिज्ञ, राजनीति, त्था अर्थनीति शास्त्र के ज्ञाता माना जाता है।
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प्राचीन समय के साथ-साथ वर्तमान समय में भी आचार्य चाणक्य को समाजशास्त्र को होनहार पंडित, कूटनीतिज्ञ, राजनीति, त्था अर्थनीति शास्त्र के ज्ञाता माना जाता है। इन्हें इतना ज्ञान था कि कहा जाता है कि आज के समय में भी इनके द्वारा इनके ज्ञान से लिखे गए चाणक्य सूत्र की बातों पर अमल कर लिया जाए तो कोई भी इंसान सफलता के मार्ग को पार करता हुआ आसानी से अपने जीवन में एक अच्छा मुकाम हासिल कर सकता है। यही कारण है कि समय-समय हम आपको इनके चाणक्य नीति में वर्णित श्लोकों आदि से अवहत करवाते हैं रहते हैं। आज भी इसी कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं, आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गई कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं।
आचार्य चाणक्य बताते हैं कि सामूहिक और सार्वजनिक प्रयासों में नेतृत्वकर्ता को सूचनाओं के प्रयोग में बेहद सतर्क रहना चाहिए। किस व्यक्ति के लिए कितनी सूचना आवश्यक हैं, इस बात का ज्ञान हमेशा लीडर को होना चाहिए।
इस संदर्भ में चाणक्य ने आगे क्या कहते हैं, आइए जानते हैं-
कहा जाता है कि आचार्य चाणक्य ने स्वयं भी अपने जीवन में सूचनातंत्र का सक्षम प्रयोग करते थे। वे हमेशा जानकारी साझा करने में सर्वाधिक सतर्क रहते थे। विषय से संबंध रखने वाले तक आवश्यक जानकारी पहुंचा दी जाती थी, इससे आचार्य बिखरे युवाओं के समूह को सक्षम दल में परिवर्तित करने में सफल रहे।
आज के दौर की बातें तो मैनेजमेंट की क्लासेस का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा सूचना प्रबंधन होता है। आधुनिक युग इंफॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी का युग है। इसकी समझ ही नेता को हर क्षेत्र में औरों से आगे रखती है। गरिमा गोपनीयता का विषय ही सूचना तंत्र का मूल होता है। आचार्य चाणक्य ने भी प्राचीन समय में इसी के बल पर समाज के लगभग हर वर्ग का नेतृत्व किया था। कहा जाता है आचार्य को वज्र कुटिल की संज्ञा इसीलिए दी गई थी कि कोई उनसे किसी भी योजना या घटना की उनकी मर्जी के बिना जान नहीं पाता था। उन्होंने अपने जीवन में डाकुओं तक को लक्ष्य दिया। उनसे कार्य लिया, जो केवल सूचना तंत्र के सक्षम प्रयोग से ही संभव हो पाया था।