Edited By Jyoti,Updated: 19 Mar, 2021 01:48 PM
दुनिया का हर व्यक्ति सफल बनना चाहता हैै। मगर सफलता के लिए एक आम इंसान को क्या करना चाहिए? क्या सिर्फ इसके लिए बेशुमार मेहनत काफी है?
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दुनिया का हर व्यक्ति सफल बनना चाहता हैै। मगर सफलता के लिए एक आम इंसान को क्या करना चाहिए? क्या सिर्फ इसके लिए बेशुमार मेहनत काफी है? जी नहीं। आप सही पढ़ रहे हैं किसी भी तरह की सफलता पाने के लिए व्यक्ति को केवल परिश्रम की ही नहीं, अन्य कई चीज़ों की आवश्यकता होती है। इससे पहले कि आप सोच में पड़ जाएं कि आखिर सफल पाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को क्या-क्या चाहिए होता है। आइए हम आपको बताते हैं आचार्य चाणक्य के अनुसार एक सफल व्यक्ति के जीवन में परिश्रम के अलावा किस चीज की अहम भूमिका होती है।
चाणक्य कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति की सफलता में सबसे अधिक मायने रखती है उसकी वाणी तथा उसका विन्रम स्वभाव। जिस व्यक्ति के भीतर ये दोनों चीज़ों न हो सफलता होने पर व्यक्ति को कभी समाज वो मान-सम्मान प्राप्त नहीं होता। जिसका हकदार वो खुद को समझता है।
न केवल चाणक्य नीति सूत्र में बल्कि गीता का सार भी यही कहता है कि व्यक्ति को कभी अपनी वाणी की मधुरता का त्याग नहीं करना चाहिए। जिस व्यक्ति का स्वभाव विन्रम होता है, उसे व्यक्ति के सात हर कोई रिश्ता बनना चाहता है। भगवान श्री कृष्ण ने अपने मित्र अर्जुन को मनुष्य के श्रेष्ठ गुणों के बारे में बताते हुए मधुर वाणी औल विन्रम स्वभाव को इसमें सबसे महत्वपूर्ण बताया था। इन्हें अपनाने वाला व्यक्ति अपने जीवन शीघ्र सफल तो होता ही है साथ ही साथ सभी का प्रिय बनता है।
वाणी की मधुरता
चाणक्य कहते हैं व्यक्ति को सदैव मीठी वाणी बोलनी चाहिए, भाषा जितनी भी मधुर होगी उस व्यक्ति को समाज में लोकप्रियता भी उतनी ही बढ़ती जाती है। अगर वर्तमान समय की बात करें समाज में मान-सम्मान पाना बहुत मुश्किल हैै। परंतु इन दोनों गुणों से वेयक्ति समाज में सम्मान पा सकता है।
विन्रमता
चाणक्य की मानें तो विनम्रता सख्त से सख्त व्यक्ति को विन्रमता प्रभावित करती है। विनम्रता ज्ञान और संस्कार से विकसित होती है। कहा जाता है जब व्यक्ति अपने ज्ञान को अनुभव की कसौटी पर कसता है तो उसे दुनिया को समझने की सोच विकसित होती है।