Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Mar, 2020 07:38 AM
आधुनिक युग में महिलाओं और पुरूषों में कोई भेद नहीं रह गया है। दोनों एक दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं लेकिन हमारे धर्मशास्त्रों में बहुत से ऐसे काम हैं, जो पुरूष करें तो मिलता है पुण्य लेकिन
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आधुनिक युग में महिलाओं और पुरूषों में कोई भेद नहीं रह गया है। दोनों एक दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं लेकिन हमारे धर्मशास्त्रों में बहुत से ऐसे काम हैं, जो पुरूष करें तो मिलता है पुण्य लेकिन महिलाएं करें तो लगता है पाप। आईए जानें क्या हैं वे काम-
देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए बलि देने का काम पुरूष ही करते हैं। महिलाएं ये काम नहीं करती क्योंकि वो जीवन लेती नहीं हैं बल्कि संसार में जीव को लेकर आती हैं।
महिलाएं अपने हाथों से पुरूषों के लिए जनेऊ बनाती हैं लेकिन उसे स्वंय धारण नहीं कर सकती, उनका यज्ञोपवित नहीं होता।
कहते हैं साबूत कुम्हरा और सीताफल सर्वप्रथम पुरूषों को काटना चाहिए। उसके बाद महिलाएं उसे काट सकती है। नजरदोष उतारने के लिए भी जब इसे फोड़ना हो तो पुरूष ही फोड़े महिलाएं नहीं।
हनुमान जी की पूजा आमतौर पर पुरुष करते हैं और महिलाएं मंदिर में प्रवेश तक नहीं करती क्योंकि हनुमान जी जीवन भर ब्रह्मचारी रहे। हनुमान जी सभी महिलाओं को मां समान मानते थे। उन्हें किसी भी स्त्री का अपने आगे झुकना भाता नहीं है क्योंकि वह स्वयं स्त्री जाती को नमन करते हैं।
महिलाएं नारियल नहीं फोड़तीं। श्रीफल बीज रूप है, इसलिए इसे उत्पादन अर्थात प्रजनन का कारक माना जाता है। श्रीफल को प्रजनन क्षमता से जोड़ा गया है। स्त्रियां बीज रूप से ही शिशु को जन्म देती हैं और इसलिए नारी के लिए बीज रूपी नारियल को फोड़ना अशुभ माना गया है। देवी-देवताओं को श्रीफल चढ़ाने के बाद पुरुष ही इसे फोड़ते हैं।