गाय चलता-फिरता अस्पताल, गौ पूजा कर पाएं स्वास्थ्य लाभ

Edited By ,Updated: 09 Nov, 2016 03:13 PM

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श्री कल्याण कमल आश्रम हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद गिरि जी महाराज ने कहा कि गऊ माता चलते-फिरते अस्पताल के समान हैं। जो भक्त गौ माता की पूजा-अर्चना करता है वो

श्री कल्याण कमल आश्रम हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद गिरि जी महाराज ने कहा कि गऊ माता चलते-फिरते अस्पताल के समान हैं। जो भक्त गौ माता की पूजा-अर्चना करता है वो स्वास्थ्य लाभ को प्राप्त होता है। एक गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है इसलिए भक्तों को गायों की सेवा कर 33 करोड़ देवी-देवताओं की पूजा का पुण्य कमाना चाहिए। सिर्फ गोपाष्टमी के दिन ही नहीं बल्कि रोजाना गायों की सेवा करें। स्वामी कमलानंद गिरि जी महाराज ने ये विचार टिब्बी साहिब रोड स्थित गौशाला में आयोजित गोपाष्टमी उत्सव के दौरान श्रद्धालुओं के विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। 


स्वामी जी ने कहा कि गायों की रक्षा करने के कारण ही भगवान कृष्ण का नाम ‘गोविंद’ पड़ा था। ब्रजवासियों की सुरक्षा के लिए भगवान कृष्ण ने उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाया। भगवान सिर्फ गौ संरक्षण के लिए ही मृत्यु लोक में अवतरित हुए। स्वामी जी ने कहा कि गौशालाओं में गायों की सेवा करने वाले ग्वालों को समय-समय पर पुरस्कृत करते रहना चाहिए ताकि गायों की सेवा के प्रति उनके उत्साह में और वृद्धि हो सके, वहीं एक परिवार को कम से कम एक गाय की सेवा का पक्का संकल्प लेना चाहिए।


गौ सेवा से महाराजा दलीप को प्राप्त हुआ था पुत्र रत्न 
स्वामी कमलानंद जी ने कहा कि महाराजा दलीप ने भी स्वयं गायों की सेवा की थी। फलस्वरूप महाराजा दलीप के घर पुत्र रत्न प्राप्त हुआ जिसका नाम रघु पड़ा और वह रघुवंशी कहलाए। स्वामी जी ने कहा कि गौ हत्या तथा भ्रूण हत्या महापाप है इसलिए गौ हत्या तथा भ्रूण हत्या के महापाप से बचना चाहिए। 


चमड़े से बनी चीजों का इस्तेमाल न करें
स्वामी कमलानंद जी ने कहा कि आज यह चिंतनीय विषय है कि गौ हत्या का निवारण कैसे हो। गौमूत्र व गोबर का खाद के रूप में कैसे इस्तेमाल किया जाए। गौशालाओं को अधिक सुविधाएं कैसे प्राप्त हों। स्वामी जी ने श्रद्धालुओं को चमड़े, चर्बी तथा हड्डी से बनी वस्तुओं का इस्तेमाल न करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि ये चीजें पशुओं के मांस से बनी होती हैं जो अशुद्ध होती हैं इसलिए इनका इस्तेमाल कभी नहीं करना चाहिए।  

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