देवी-देवताओं के सामने दीपक लगाने से पहले रखें ध्यान, तभी मिलेगा पुण्य लाभ

Edited By ,Updated: 23 Mar, 2017 03:27 PM

deepak will get virtuous benefits

देवपूजा में दीपक का बड़ा महत्व माना गया है। सामान्यत: घी या तेल का दीपक जलाने की परम्परा रही है। पूजा के समय दीपक कैसा हो,

देवपूजा में दीपक का बड़ा महत्व माना गया है। सामान्यत: घी या तेल का दीपक जलाने की परम्परा रही है। पूजा के समय दीपक कैसा हो, उसमें कितनी बत्तियां हों यह जानना भी बेहद जरूरी है। यही जानकारी उस देवता की कृपा और अपने उद्देश्य की पूर्ति का कारण बनती है।


दीपक और ग्रह स्वामियों पर पडऩे वाला प्रभाव 
किसी भी प्रकार का आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिए नियम से अपने घर के मंदिर में शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए। अगर जातक शत्रु पीड़ा से पीड़ित हों तो सरसों के तेल का दीपक भैरव जी के समक्ष जलाना ठीक रहता है।


भगवान सूर्य की प्रसन्नता और कृपा के लिए सरसों के तेल का दीपक जलाएं। शनि तिल के तेल का दीपक जलाने से प्रसन्न होते हैं। पति की आयु के लिए महुए का तेल और राहू-केतु ग्रह की शांति के लिए अलसी के तेल का दीपक जलाना चाहिए। किसी भी देवी या देवता की पूजा में शुद्ध गाय का घी या एक फूल बत्ती या तिल के तेल का दीपक आवश्यक रूप से प्रज्वलित करना चाहिए। विशेष रूप से भगवती जगदम्बा, दुर्गा देवी की आराधना के समय दोमुख घी वाला दीपक माता सरस्वती की आराधना के समय और शिक्षा प्राप्ति के लिए जलाना चाहिए।


भगवान गणेश की कृपा प्राप्ति के लिए तीन बत्तियों वाला घी का दीपक जलाएं। भैरव साधना के लिए चौमुखा सरसों के तेल का दीपक जलाना ठीक रहता है। मुकद्दमा जीतने और भगवान कार्तिक की प्रसन्नता के लिए पंचमुखी दीपक प्रभावी होते हैं। भगवान कार्तिक की प्रसन्नता के लिए गाय का शुद्ध घी प्रयोग में लें और पीली सरसों का दीपक जलाएं। आठ और बारह मुखी दीपक भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए होते हैं। इन्हें पीली सरसों के तेल में प्रज्वलित करना चाहिए। लक्ष्मी जी की प्रसन्नता के लिए सात मुखी घी का दीपक और भगवान विष्णु की दशावतार आराधना के समय दस मुखी दीपक जलाने चाहिएं।


पूजा और दीपक के प्रकार
इष्ट सिद्धि, ज्ञान प्राप्ति के लिए गहरा और गोल दीपक प्रयोग में लें। शत्रु नाश, आपत्ति निवारण के लिए मध्य में से ऊपर उठा हुआ दीपक इस्तेमाल करें।

 
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए दीपक सामान्य गहरा होना चाहिए। हनुमान जी की प्रसन्नता के लिए त्रिकोने दीपक का प्रयोग करें। दीपक मिट्टी, आटा , ताम्बा, चांदी, लोहा, पीतल और स्वर्ण धातु के हो सकते हैं लेकिन मूंग, चावल, गेहूं, उड़द और ज्वार को समान मात्रा में लेकर इसके आटे से बनाया दीपक सर्वश्रेष्ठ होता है। किसी-किसी साधना में अखंड जोत जलाने का भी विशेष विधान है जिसे शुद्ध गाय के घी और तिल के तेल के साथ भी जलाएं।    

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