Edited By Jyoti,Updated: 20 Oct, 2019 03:10 PM
धार्मिक ग्रंथों व शास्त्रों के अनुसार धनतेरस का त्यौहार भगवान धनवंतरि को समर्पित है। माना जाता है इस दिन इनका अवतरण हुआ था। जिस कारण इस दिन को इनके नाम से जोड़ा गया।
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धार्मिक ग्रंथों व शास्त्रों के अनुसार धनतेरस का त्यौहार भगवान धनवंतरि को समर्पित है। माना जाता है इस दिन इनका अवतरण हुआ था। जिस कारण इस दिन को इनके नाम से जोड़ा गया। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब इनका जन्म हुआ था इनके दोनों हाथों में अमृत कलश थे। बता दें हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि यानि दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस का ये त्यौहार मनाया जाता है। परंतु बात दें इसके अलावा इस दिन धन के देवता कुबेर देव की पूजा का विधान है। इसके अलावा इस दिन मृत्यु के देवता यमराज के आगे भी दीपक जलाया जाता है।
धनतेरस के दिन देवताओं के वैद्य धनवन्तरि और धन के देवता कुबेर की पूजा होती है। मृत्यु के देवता यमराज के लिए यम दीपक जलाया जाता है। धनतेरस कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को होता है, जिस कारण इसे धन त्रयोदशी भी कहा जाता है।
कथाओं केअ अनुसार धन के देवता कुबेर को भगवान शिव से धनपति होने का वरदान प्राप्त हुआ था। कहा जाता है कि भोलेनाथ से वरदान प्राप्त होने के कारण ही कुबेर देव को पृथ्वी की संपूर्ण धन और संपदा के मालिक हैं। माना जाता है इस कारण से धन त्रयोदशी के दिन विधि कुबेर देव को प्रसन्न करने के लिए विधि-विधान से पूजा किया जाता है। आइए जानते हैं कुबेर देव के मंत्र व पूजन से जुड़ी खास बातें-
कहा जाता है धनतेरस को धन की देवता कुबेर देव की पूजा करने के पीछे एक कारण यह भी है कि इनका धन स्थिर रहता है, जबकि माता लक्ष्मी से प्राप्त धन स्थिर नहीं होता है, इसलिए वह चंचला भी कही जाती हैं। कुबेर से प्राप्त धन स्थिर होता है, इसलिए माना जाता है धनतेरस को इनकी पूजा करना चाहिए, धन-धान्य में वृद्धि होती है।
रावण के सौतेले भाई थे कुबेर
ग्रंथों के अनुसार कुबेर रावण के सौतेले भाई थे। कहा जाता है इनका दूसरा नाम वैश्रवण है। वह महर्षि विश्रवा और महामुनि भरद्वाज की पुत्री इड़विड़ा के बेटे थे। विश्रवा की दूसरी पत्नी कैकसी से रावण, कुंभकर्ण व विभीषण का जन्म हुआ था।||
कुबेर मंत्र और पूजा
शुभ मुहूर्त में पूजा स्थान पर कुबेर की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित कर लें। अगर ऐसा संभव न हो तो अपनी तिज़ोरी को कुबेर देव मानकर पूजा करें। क्योंकि कुबेर खजाने के प्रतीक माने जाते हैं।
आख़िर में कुबेर मंत्र का जाप करके विधि पूर्वक इनकी आरती करें-
ॐ श्रीं, ओम ह्रीं श्रीं, ओम ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:।