Difference Between Charanamrit And Panchamrit: जानें, चरणामृत और पंचामृत में अंतर क्या है ?

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 13 Jul, 2023 08:49 AM

difference between charanamrit and panchamrit

मंदिरों में जब भी हम जाते हैं तो अक्सर पुजारी या पंडित जी हमें चरणामृत या पंचामृत देते हैं। क्या आप जानते हैं कि चरणामृत और पंचामृत

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Difference Between Charanamrit And Panchamrit: मंदिरों में जब भी हम जाते हैं तो अक्सर पुजारी या पंडित जी हमें चरणामृत या पंचामृत देते हैं। क्या आप जानते हैं कि चरणामृत और पंचामृत आपके जीवन में चमत्कारिक फायदे ला सकते हैं। दोनों के फायदे जानने से पहले जानें दोनों में अंतर क्या है ?

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चरणामृत का अर्थ होता है भगवान के चरणों का अमृत और पंचामृत का अर्थ पांच अमृत यानी पांच पवित्र वस्तुओं से बना। दोनों को ही पीने से व्यक्ति के भीतर जहां सकारात्मक भावों की उत्पत्ति होती है, वहीं यह सेहत से जुड़ा मामला भी है।

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शास्त्रों में कहा गया है- अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम्। विष्णो पादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते॥

अर्थात भगवान विष्णु के चरणों का अमृतरूपी जल सभी तरह के पापों का नाश करने वाला है। यह औषधि के समान है। जो चरणामृत का सेवन करता है, उसका पुनर्जन्म नहीं होता है।

सिर पर नहीं फेरना चाहिए हाथ
चरणामृत लेने के नियम भी होते हैं। चरणामृत ग्रहण करने के बाद बहुत से लोग सिर पर हाथ फेरते हैं, लेकिन शास्त्रीय मत है कि ऐसा नहीं करना चाहिए। इससे नकारात्मक प्रभाव बढ़ता है।

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चरणामृत हमेशा दाएं हाथ से लेना चाहिए और श्रद्धा भक्तिपूर्वक मन को शांत रखकर ग्रहण करना चाहिए। इससे चरणामृत अधिक लाभप्रद होता है।  
             
आयुर्वेद के अनुसार चरणामृत स्वास्थ्य के लिए बेहद अच्छा माना गया है। तांबे में अनेक रोगों को नष्ट करने की क्षमता होती है। यह पौरूष शक्ति को बढ़ाने में भी गुणकारी माना जाता है।

तुलसी के रस से कई रोग दूर हो जाते हैं और इसका जल मस्तिष्क को शांति और निश्चितता प्रदान करता है। स्वास्थ्य लाभ के साथ ही चरणामृत बुद्धि, स्मरण शक्ति को बढ़ाने भी कारगर होता है।      
       
What is Panchamrit made of: पंचामृत का अर्थ है ‘पांच अमृत’। दूध, दही, घी, शहद, चीनी को मिलाकर पंचामृत बनाया जाता है। इसी से भगवान का अभिषेक किया जाता है। पांचों प्रकार के मिश्रण से बनने वाला पंचामृत कई रोगों में लाभदायक और मन को शांति प्रदान करने वाला होता है। इसका एक आध्यात्मिक पहलू भी है। वह यह कि पंचामृत आत्मोन्नति के 5 प्रतीक हैं।  
           
दूध पंचामृत का प्रथम भाग है। यह शुभता का प्रतीक है अर्थात हमारा जीवन दूध की तरह निष्कलंक होना चाहिए।

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दही का गुण है कि यह दूसरों को अपने जैसा बनाता है। दही चढ़ाने का अर्थ यही है कि पहले हम निष्कलंक हो सद्गुण अपनाएं और दूसरों को भी अपने जैसा बनाएं।
 
घी स्निग्धता और स्नेह का प्रतीक है। सभी से हमारे स्नेहयुक्त संबंध हो, यही भावना है।
 
शहद मीठा होने के साथ ही शक्तिशाली भी होता है। निर्बल व्यक्ति जीवन में कुछ नहीं कर सकता, तन और मन से शक्तिशाली व्यक्ति ही सफलता पा सकता है।
 
शक्कर का गुण है मिठास, शक्कर चढ़ाने का अर्थ है जीवन में मिठास घोलें। मीठा बोलना सभी को अच्छा लगता है और इससे मधुर व्यवहार बनता है।
 
हमारे जीवन में उपरोक्त गुणों से सफलता हमारे कदम चूमती है। 

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