Edited By Niyati Bhandari,Updated: 05 Nov, 2018 11:42 AM
धार्मिक दृष्टि से धनतेरस का बहुत महत्व है। मां लक्ष्मी धन की देवी हैं, श्री गणेश विघ्नहर्ता हैं, भगवान धन्वंतरि स्वास्थ्य प्रदान करते हैं, यमराज मृत्यु के देवता हैं। दीपावली पर इनकी पूजा से मनुष्य के सभी काम सिद्ध होते हैं।
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धार्मिक दृष्टि से धनतेरस का बहुत महत्व है। मां लक्ष्मी धन की देवी हैं, श्री गणेश विघ्नहर्ता हैं, भगवान धन्वंतरि स्वास्थ्य प्रदान करते हैं, यमराज मृत्यु के देवता हैं। दीपावली पर इनकी पूजा से मनुष्य के सभी काम सिद्ध होते हैं। जन साधारण आज के युग में शास्त्रों के विधि-विधान से अधिक परिचित नहीं है लेकिन दीपावली पर्व पर सामान्य रूप से इन देवों की पूजा से ये देव प्रसन्न हो जाते हैं। धनतेरस के दिन यमराज के निमित्त दीपदान किया जाता है, जिससे परिवार में अकाल मृत्यु नहीं होती। जो प्राणी धनतेरस की शाम को अपने आंगन में यम के नाम पर दक्षिण दिशा में दीपदान करता है, उस घर में अकाल मृत्यु नहीं होती तथा दीपदान करने से यमराज प्रसन्न होते हैं। दीपमालिका जलाकर यम को अर्पित की जाती है।
इस संसार में जो व्यक्ति स्वस्थ है, वही सुखी है, भगवान धन्वंतरि चिकित्सा के देवता हैं। अच्छे स्वास्थ्य की कामना से भी भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है, वैद्य तथा चिकित्सक वर्ग इस दिन विशेष रूप से उनकी पूजा-अर्चना करता है।
धनतेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी का त्यौहार आता है। इस दिन भी यमराज के प्रति दीपदान करने की प्रथा है इसे हम छोटी दीपावली भी कहते हैं। पुराणों के अनुसार इस दिन आनंदकंद भगवान श्री कृष्ण जी ने अत्याचारी और दुराचारी नरकासुर का वध किया था और सोलह हजार एक सौ कन्याओं को उसके बंदीगृह से मुक्त किया था। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की विशेष कृपा होती है।
धनतेरस, नर्क चतुर्दशी, दीपावली, गोवद्र्धन पूजा तथा भैया दूज का पांच पर्वों की शृंखला वाला यह दीपोत्सव भारतीयों का लोकप्रिय पर्व है। युगों-युगों से चली आ रही दीपोत्सव की परम्परा अनादि काल तक चलती रहेगी।
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