Edited By Lata,Updated: 03 Oct, 2019 11:54 AM
हिंदू धर्म में हर व्रत और त्योहार का बड़ा महत्व होता है। जैसे कि अभी नवरात्रि का पर्व चल रहा है और इसकी धूम हर जगह पर अ
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू धर्म में हर व्रत और त्योहार का बड़ा महत्व होता है। जैसे कि अभी नवरात्रि का पर्व चल रहा है और इसकी धूम हर जगह पर अलग ही देखने को मिलती है। इसी तरह नवरात्रि के बाद दशहरा आएगा और इस साल ये 8 अक्टूबर दिन मंगलवार को मनाया जा रहा है। अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर मनाए जाने वाले इस पावन पर्व का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। ये पर्व असत्य पर सत्य की जीत का पर्व है। कहते हैं कि इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था, इसलिए इसे मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन जो भी काम किया जाता है, उसका शुभ लाभ अवश्य प्राप्त होता है। इसके साथ ही दशहरे पर अस्त्र-शस्त्र की पूजा का विधान है।
परंपरा
सनातन परंपरा में शस्त्र और शास्त्र दोनों का बहुत महत्व है। शास्त्र की रक्षा और आत्मरक्षा के लिए धर्मसम्म्त तरीके से शस्त्र का प्रयोग होता रहा है। प्राचीनकाल में क्षत्रिय शत्रुओं पर विजय की कामना लिए इसी दिन का चुनाव युद्ध के लिए किया करते थे। पूर्व की भांति आज भी शस्त्र पूजन की परंपरा कायम है और देश की तमाम रियासतों और शासकीय शस्त्रागारों में आज भी शस्त्र पूजा बड़ी धूमधाम के साथ की जाती है।
शस्त्र पूजन विधि
दशहरा के दिन शस्त्र पूजा के लिए सबसे पहले घर पर जितने भी शस्त्र हैं, उन पर पवित्र गंगाजल का छिड़काव करें। शस्त्रों को पवित्र करने के पश्चात् उन पर हल्दी या कुमकुम से टीका लगाएं और फल-फूल अर्पित करें। शस्त्र पूजा में शमी के पत्ते जरूर चढ़ाएं। दशहरे पर शमी के पेड़ की पूजा करने का विशेष महत्व होता है।