सुखी जीवन के लिए अपनाएं श्रीमद्भागवत की ये बातें

Edited By Lata,Updated: 10 Jun, 2019 12:32 PM

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आज के समय में हर किसी के रिश्तों में छोटी-मोटी बातों को लेकर झगड़े होते रहते हैं। ये जरूरी भी है, क्योंकि ऐसा माना जाता है

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आज के समय में हर किसी के रिश्तों में छोटी-मोटी बातों को लेकर झगड़े होते रहते हैं। ये जरूरी भी है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे रिश्तों में ताज़गी बनी रहती है और अक्सर झगड़े वहीं होते हैं जहां प्यार होता है। लेकिन कई बार यहीं झगड़े बड़ी-बड़ी बातों का रूप ले लेते हैं, जिससे कि धीरे-धीरे आपसी प्रेम तो कम होता ही है उसके साथ ही रिश्तों में दरार आने लग जाती है। वहीं अगर हम बात करें वैवाहिक जीवन के बारे में तो पति-पत्नी दोनों में आपसी समझ होने के साथ-साथ आपसी प्यार होना भी बेहद जरूरी होता है। अगर इन दोनों में समझ न हो तो बात अलग होने तक भी पहुंच जाती है। शादीशुदा लोगों की लाइफ में आपसी समझ होना बहुत जरूरी है, वरना गृहस्थ जीवन नरक लगने लग जाता है। इसके लिए आज हम आपके लिए श्रीमद् भागवत की ये बातें लेकर आएं हैं, जिन्हें जानना आपके लिए बेहद जरूरी है। 
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सबसे पहली बात की पति-पत्नी को एक-दूसरे को सम्मान देना चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि पति अपने कामों में इतना व्यस्त हो जाता है कि वह अपनी पार्टनर की ओर ध्यान नहीं दे पाता है। तो ऐसे में उन दोनों में न आपसी समझ रहती है ओर न ही वे एक-दूसरे को वो सम्मान दे पाते हैं। 

दूसरी और सबसे अहम बात यह है कि दोनों में आपसी विश्वास होना बहुत जरूरी होता है। अगर दोनों के बीच प्यार और विश्वास न हो तो तकरार होती रहती है और इससे रिश्ता खराब होता है। इसलिए आपसी विश्वास होना बहुत जरूरी है।  
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अगर इन बातों में से किसी एक भी बात को लेकर अनदेखी हुई तो गृहस्थी बिखरने में देर नहीं लगती। इस बात को श्रीमद् भागवत में दी गई राजा ययाति की कथा से समझ सकते हैं। आइए जानें-
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राजा ययाति बड़े प्रतापी थे। उनका विवाह दैत्य गुरु शुक्राचार्य की बेटी देवयानी से हुआ था। विवाह पूर्व शुक्राचार्य ने ययाति से वचन लिया था कि वो कभी भी देवयानी के अलावा किसी अन्य स्त्री से संबंध नहीं रखेंगे। जब देवयानी गर्भवती हुईं तो शर्मिष्ठा को उससे ईर्ष्या होने लगी। शर्मिष्ठा, राजा ययाति के महल के पीछे कुटिया में रहती थी। उसने ययाति को अपने रूप जाल में फांस लिया था। एक दिन देवयानी को ये बात पता चल गई। इस पर शुक्राचार्य ने ययाति के भ्रष्ट आचरण की बात सुनकर उसे श्राप दे दिया कि वो युवा अवस्था में ही वृद्ध हो जाए। ययाति ने अपने किए की क्षमा मांगी, लेकिन राजा के वैवाहिक जीवन का सुख, विश्वास और सम्मान, खत्म हो चुका था। 

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