Edited By Jyoti,Updated: 09 Jul, 2019 03:08 PM
हिंदू पुराणों में मानव जीवन को सुखी बनाने के लिए बहुत सी ऐसी नीतियां वर्णित हैं जिन्हें हम अपना लें तो हमेशा हमेशा के लिए शांतिपूर्वक जीवन व्यतीत कर सकते हैं।
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हिंदू पुराणों में मानव जीवन को सुखी बनाने के लिए बहुत सी ऐसी नीतियां वर्णित हैं जिन्हें हम अपना लें तो हमेशा हमेशा के लिए शांतिपूर्वक जीवन व्यतीत कर सकते हैं। मगर सबसे बड़ी परेशानी ये है कि आज भी हिंदू धर्म से संबंध रखने वाले आधे से ज्यादा लोग शास्त्रों में दी गई ज्ञान की बातों से अंजान है। इसका सबसे बड़ा कारण कहीं न कहीं आज कल का मार्डन ज़माना है। आज के समय में लोग शास्त्रों आदि में यकीन नहीं करते तो उन पर अमल करना बहुत दूर की बात है। मगर आपको बता दें शास्त्रों में ऐसी बहुत सी बातें दी गई है। आज हम आपको बताने वाले हैं गरुड़ पुराण के आचारकांड में नीतिसार नामक एक अध्याय बताई गई 4 ऐसी आदतों के बारे में बताया गया है, जो किसी भी व्यक्ति के जीवन में परेशानियों का कारण बन सकती हैं।
यहां जानें कौन सी हैं वो 4 आदतें-
इस अध्यास के मुताबिक हिंदू धर्म के वेद-पुराण व शास्त्र हर हिंदू के लिए पूजनीय हैं। इनसे हमें ज्ञान मिलता है। इनके द्वारा ही हमें धर्म और अधर्म की जानकारी मिलती है। इसीलिए वेदों का अपमान करना पाप कर्म और पाप करने वालों को पापी माना जाता है।
आमतौर पर देखा जाता है कुछ लोगों को खुद की तारीफ करने की आदत होती है। कहा जाता है ये आदत व्यक्ति को अहंकारी बना देती है। इसके चलते हम खुद को श्रेष्ठ और दूसरों को तुच्छ समझने लगते हैं। शास्त्रों के अनुसार अहंकारी व्यक्ति को मान-सम्मान नहीं मिल पाता है। अहंकार की वजह से ही रावण और दुर्योधन मारे गए। इसलिए जितना हो सके इस आदत से बचें।
बहुत से लोग आज के समय में भगवान और धर्म में आस्था नहीं रखते और न ही अपने माता-पिता का सम्मान भी नहीं करते। वे जीवन में हमेशा दुखी रहते हैं। इन्हें जीवन में सुख-शांति प्राप्त नहीं होती। जिस कारण इनका मन हमेशा अशांत रहता है।
शास्त्रों के अनुसार किसी का अपमान और बुराई करना भी पाप कर्म माना गया है। व्यक्ति दूसरों की बुराई करनें इतना व्यस्त हो जाता है कि वह अपनी कमियां भूल जाता है। इसके विपरीत अगर व्यक्ति स्वयं में सुधार कर ले तो वह कभी भी जीवन में असफलता नहीं होगा।