शनिवार के दिन हनुमान जी की इस स्तुति पाठ करने से पूरे होंगे आपके सारे काम

Edited By Jyoti,Updated: 14 Jun, 2019 06:05 PM

hanuman ji ki aarti in hindi

हिंदू ग्रंथों में पवनपुत्र बजरंगबली को देवों के देव महादेव का रूद्र अवतार कहा जाता है। महाभारत के कुछ पात्रों के अलावा केवल हनुमान जी हैं जो आज भी इस धरती पर जीवित हैं।

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हिंदू ग्रंथों में पवनपुत्र बजरंगबली को देवों के देव महादेव का रूद्र अवतार कहा जाता है। महाभारत के कुछ पात्रों के अलावा केवल हनुमान जी हैं जो आज भी इस धरती पर जीवित हैं। कहा जाता श्री राम ने अपने आशीर्वाद के रूप में ये वरदान दिया था कि वो सृष्टि की रक्षा हेतु अजम-अमर रहेगें। ज्योतिष शास्त्र में अजंनी पुत्र व श्री राम के परम भक्त हनुमान जी कलियुग में सभी कामनाओं को पूरा करने वाले महा सुखदायी माने जातें हैं। यही कारण हैं कि आज भी हनुमान जी की कृपा के अनेकों चमत्कार देखने को मिलते हैं। कहते हैं जिनके ऊपर इनकी कृपा हो जाती है, उस भक्त के जीवन के सभी संकटों का नाश स्वतः ही होने लगता है।
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चूंकि शास्त्रों में शनिवार और मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है इसलिए इन दोनों दिन कोई मंत्र जप करके इनकी उपासना करता है, तो कोई बजरंगबली की चालीसा या फिर सुंदरकांड का पाठ करके उनकों प्रसन्न करने की कोशिश करता है। लेकिन आज आपको कुछ अलग बताने वाले हैं इनके एक ऐसे ही पाठ के बारे में जो आपको आपके सभी शत्रुओं से मुक्ति दिला सकता है।

तो अगर आप अपनी समस्याओं का निदान चाहते हैं तो शनिवार को सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक कभी भी, भक्त शिरोमणी हनुमान जी की इस स्तुति का पाठ अपने घर में या हनुमान मंदिरमें जाकर करें। इससे निश्चित ही आप पर इनकी कृपा ज़रूर होगी। 

।। हनुमान जी की वंदना ।।
मनोजवं मारुत तुल्यवेगं, जितेन्द्रियं, बुद्धिमतां वरिष्ठम्।।
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं, श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे।।
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।। अथ हनुमान महा सुखदायी स्तुति।।
आरती किजे हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरवर कांपे। रोग दोष जाके निकट ना झांके॥
अंजनी पुत्र महा बलदाई। संतन के प्रभु सदा सहाई॥
दे वीरा रघुनाथ पठाये। लंका जाये सिया सुधी लाये॥
लंका सी कोट संमदर सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई ॥
लंका जारि असुर संहारे। सियाराम जी के काज संवारे॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे। आनि संजिवन प्राण उबारे॥
पैठि पताल तोरि जम कारे। अहिरावन की भुजा उखारे॥

बायें भुजा असुर दल मारे। दाहीने भुजा सब संत जन उबारे॥
सुर नर मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे॥
कचंन थाल कपूर लौ छाई। आरती करत अंजनी माई॥
जो हनुमान जी की आरती गाये। बसहिं बैकुंठ परम पद पायै॥
लंका विध्वंश किये रघुराई। तुलसीदास स्वामी किर्ती गाई॥
आरती किजे हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
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