Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 Feb, 2023 10:03 AM
एथेंस में सोलन नामक एक विद्वान संत थे। उनकी विद्वत्ता तथा त्याग से सभी प्रभावित थे। अनेक व्यक्ति उनसे अपनी समस्याओं के समाधान कराते थे
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Who is the happiest person in the world: एथेंस में सोलन नामक एक विद्वान संत थे। उनकी विद्वत्ता तथा त्याग से सभी प्रभावित थे। अनेक व्यक्ति उनसे अपनी समस्याओं के समाधान कराते थे। एक दिन भ्रमण करते-करते वह लिडिया नामक देश पहुंच गए। वहां के राजा कारूं ने संत सोलन को आदरपूर्वक अपने महल में बुलवाया। संत राजा के महल में आए। कुछ देर इधर-उधर की बातें होने के बाद राजा अभिमानपूर्वक संत सोलन से बोले, ‘‘महाराज आपने मेरा देश और महल तो देख लिया है। यह देखकर आपको क्या लगता है ?
भला इस दुनिया में मुझसे ज्यादा सुखी, संपन्न कोई दूसरा हो सकता है ?’’
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राजा के अभिमान भरे शब्द सुनकर संत सोलन सहज भाव से बोले, ‘‘संसार में सुखी उसी को कहा जाता है जिसका अंत सुखमय हो।’’
संत का यह कथन कारूं को अच्छा नहीं लगा। संत वहां से चले गए। कुछ समय बाद कारूं ने फारस राज्य पर आक्रमण कर दिया। वहां के राजा साइरस ने उसे हराकर गिरफ्तार कर लिया। जब राजा कारूं को साइरस के सामने प्रस्तुत किया गया, तो उसने कारूं को जीवित जला डालने की सजा सुना दी। राजा कारूं को संत सोलन के कहे शब्द याद आ गए, कि जिसका अंत सुखमय है, वही सुखी होता है। जब उसे प्राण दंड देने के लिए ले जाया जाने लगा, तो वह हाय सोलन, हाय सोलन करके रोने लगा।
राजा साइरस संत सोलन का बहुत बड़ा भक्त था। जब उसने कारूं के मुंह से संत सोलन का नाम सुना, तो आश्चर्य में पड़ गया। उसने कारूं से पूछा, ‘‘तुम संत सोलन का नाम क्यों ले रहे हो?’’
इस पर कारूं बोला, ‘‘मैं उनके कथन को याद कर अपनी वाणी को उनके नाम से पवित्र कर रहा हूं।’’ यह सुनकर साइरस ने कारूं को तुरंत आजाद कर दिया। उसके बाद राजा कारूं हमेशा के लिए संत सोलन का भक्त बन गया।