Hariyali Amavasya: आज ये 1 पौधा लगाने से होगी हर मुराद पूरी

Edited By Updated: 24 Jul, 2025 07:16 AM

hariyali amavasya

Hariyali Amavasya 2025: आज 24 जुलाई, सावन महीने की अमावस्या तिथि है। इसे हरियाली अमावस्या के नाम से पुकारा जाता है। कुछ स्थानों पर इसे चितलगी अमावस्या भी कहा जाता है। सावन में बारिश की रिमझिम के साथ चारों ओर हरा सोना यानी हरियाली की चादर फैली रहती...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Hariyali Amavasya 2025: आज 24 जुलाई, सावन महीने की अमावस्या तिथि है। इसे हरियाली अमावस्या के नाम से पुकारा जाता है। कुछ स्थानों पर इसे चितलगी अमावस्या भी कहा जाता है। सावन में बारिश की रिमझिम के साथ चारों ओर हरा सोना यानी हरियाली की चादर फैली रहती है। इस अमावस्या का पर्यावरण से खास संबंध है। पुराणों के अनुसार हर व्यक्ति को आज के दिन कम से कम एक पौधा जरुर लगाना चाहिए। आज के दिन संभव न हो सके तो सावन पूर्णिमा तक कभी भी पौधा रोपण किया जा सकता है। 

PunjabKesari Hariyali Amavasya 2020वृक्ष हमारी संस्कृति के संरक्षक माने जाते हैं। वृक्षों, वनों, पौधों और पत्तों तक को देव तुल्य मानकर उनकी पूजा की जाती है। देवालयों के परिसर में स्थित वृक्षों को भी देवता मानकर पूजा जाता है। कई वृक्षों को तो सीधे महत्वपूर्ण देवता मानकर उनकी पूजा होती है जैसे- पीपल, वट (बड़ या बरगद), अशोक, आम, तुलसी, कदम्ब, बेल (बिल्व), पलाश, आक, केला, आंवला, हरसिंगार, कमल, कैथ, इमली, अनार, गुग्गल, गुलाब, नीम, बहेड़ा, हरैय, करंज, जामुन आदि।

PunjabKesari Hariyali Amavasya 2020

इनमें औषधीय गुणों के साथ-साथ पर्यावरण को भी स्वच्छ व ठीक रखने की अपार क्षमता है। ये अनेक प्रकार के दोषों का भी निवारण करते हैं। मनुष्य के दैनिक जीवन में इनकी अत्यधिक उपयोगिता भी है।

PunjabKesari Hariyali Amavasya

माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए घर में श्वेत आक (मदार), केला, आंवला, हरसिंगार, अशोक, कमल आदि का रोपण शुभ मुहूर्त में करने का विधान है। 

घर-मकान के सामने शमी पेड़ को लगाना व पूजन करना कई कठिनाइयों का हरण करता है।

कदम्ब के वृक्ष के नीचे परिवार सहित भोजन किया जाए तो परिवार फलता-फूलता है। 

जिस घर में तुलसी की पूजा होती है उस घर में यमराज प्रवेश नहीं करता। 

शिवालय-शिव मंदिर के निकट बेल (बिल्व वृक्ष) लगाने से उसका पूजन हो जाता है और पत्तों (त्रिपत्र) को शिवार्पण करने से अनेक लाभ होते हैं। 

तुलसी एकादशी के दिन तुलसी के पौधों की अपनी पुत्री के समान विवाह की रीति सम्पन्न की जाती है। 

शास्त्रवेत्ताओं का कथन है कि पथ के किनारे वृक्षारोपण करने से दुर्गम फल की प्राप्ति होती है, जो फल अग्रिहोत्र से भी उपलब्ध नहीं होता वह मार्ग के किनारे वृक्ष लगाने से मिल जाता है।

पीपल वृक्ष को नियमपूर्वक जल चढ़ाने से पुत्र की प्राप्ति होती है और शनि का दुष्प्रभाव समाप्त हो जाता है। 

PunjabKesari

विशेष- पीपल, बरगद को ब्रह्म स्वरूप ब्राह्मण माना जाता रहा है। उन्हें काटना ब्रह्म हत्या के समान माना जाता है। जिन वृक्षों पर पक्षियों के घोंसले हों तथा देवालय और श्मशान की भूमि पर लगे वृक्ष जैसे बड़, पीपल, बहेड़ा, हरड़, नीम, पलाश आदि को काटना शास्त्रानुकूल नहीं है। महुआ वृक्ष को काटना पाप का भागी बनना है। बहुत आवश्यक हो तब इन वृक्षों व इससे आधारित जीव-जंतुओं से क्षमा प्रार्थना कर अनुमति मानकर काटें परन्तु तब दूसरे स्थान पर उस वृक्ष को लगाने की व्यवस्था करें। पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने के लिए सुख-समृद्धि प्राप्ति हेतु व व्याधियों से मुक्ति हेतु वृक्षारोपण करना आवश्यक है।

 

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!