Edited By Lata,Updated: 02 Nov, 2019 03:52 PM
हिंदू धर्म में शनिवार का दिन शनिदेव की पूजा का दिन माना जाता है। उन्हें न्याय प्रिय देव कहा जाता है।
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हिंदू धर्म में शनिवार का दिन शनिदेव की पूजा का दिन माना जाता है। उन्हें न्याय प्रिय देव कहा जाता है। न्याय के देवता शनि हमारे सम्पूर्ण कर्मो का लेखा-जोखा अपने साथ रखते हैं। शनि का श्यामल जैसा रंग-रूप और कठोर व्यवहार देखते ही मन भय से भर जाता है कि कहीं शनि महाराज हमसे रुष्ठ न हो जाए क्योंकि शनि महाराज सभी मनुष्यों को उसके कर्मों के अनुसार दण्डित और पुरस्कृत करते हैं। आज हम आपको उन कामों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें करने से व्यक्ति शनि के प्रकोप से बच सकते हैं।
शनि महाराज और परिश्रमी व्यक्ति का परस्पर गहरा सम्बन्ध है। जब कोई मनुष्य काम पर ध्यान केन्द्रित करता है और खुद को सदैव स्पष्ट रखता है तो शनि देव बहुत प्रसन्न होते हैं और उसके श्रम के अनुसार उसका भाग्य बनाते है।
शनि सूर्यपुत्र और मृत्यु के स्वामी यम के अग्रज हैं। सूर्य के द्वारा तिरस्कार मिलने पर शनि भावना और मन के विपरीत कार्य करते हैं इसलिए न्याय के राजा भी हैं क्योंकि न्यायाधीश को किसी भी तरह की भावनाओं में बहकर निर्णय लेने का अधिकार नहीं होता।
शनि देव सूर्य की पत्नी संज्ञा की छाया अर्थात प्रतिबिम्ब के पुत्र हैं। हमारा चरित्र भी छाया की भांति हमेशा हमारे साथ ही रहता है इसलिए शनि देव नेक और छल-कपट से दूर बंदो के साथ हमेशा न्याय करते हैं।
आज व्यक्ति के जीवन में सफल होने के बाद भी कोई आंतरिक खुशी नही है क्योंकि सफलता और प्रसिद्धि के लिए अपनाए गए लघुपथ तरीकों से किसी अन्य का अहित भी हो जाता है और यहीं से मनुष्य शनि के न्याय क्षेत्र में प्रवेश करता है इसलिए हमें सफलता के साथ-साथ मानवीय गुणों का भी ध्यान रखना चाहिए।