Kundli Tv- भगवान विष्णु के चरणों का अमृतरूपी जल, कहलाता है पंचामृत

Edited By Jyoti,Updated: 17 Jun, 2018 03:22 PM

importance of panchamrit in hindi

हिंदू धर्म में भगवान की आरती के बाद भगवान का पंचामृत दिया जाता है। हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है। इसे बहुत ही पवित्र माना जाता है तथा मस्तक से लगाने के बाद इसका सेवन किया जाता है।

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हिंदू धर्म में भगवान की आरती के बाद भगवान का पंचामृत दिया जाता है। हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है। इसे बहुत ही पवित्र माना जाता है तथा मस्तक से लगाने के बाद इसका सेवन किया जाता है।

पंचामृत मंत्र 
पंचामृत सेवन करते समय निम्र श्लोक पढऩे का विधान है:- 

अकालमृत्युहरण सर्वव्याधिविनाशनम्।
विष्णुपादोदंक (पीत्वा पुनर्जन्म न) विद्यते।।

भगवान विष्णु के चरणों का अमृतरूपी जल सभी तरह के पापों का नाश करने वाला है। यह औषधि के समान है। अर्थात पंचामृत अकाल मृत्यु को दूर रखता है। सभी प्रकार की बीमारियों का नाश करता है। इसके पान से पुनर्जन्म नहीं होता।

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ध्यान रखने योग्य बातें- 
पंचामृत जिस दिन बनाएं उसी दिन खत्म कर दें। अगले दिन के लिए न रखें।

पंचामृत हमेशा दाएं हाथ से ग्रहण करें, इस दौरान अपना बायां हाथ दाएं हाथ के नीचे रखें।

पंचामृत को ग्रहण करने से पहले उसे सिर से लगाएं, फिर ग्रहण करें, फिर हाथों को सिर पर न लगाएं।

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अगर तुलसी के पत्ते और गंगाजल किसी वजह से नहीं है तो पंचामृत उनके बिना भी बना सकते हैं, तुलसी है इसलिए इनका इस्तेमाल किया जाता है।

पंचामृत हमेशा तांबे के पात्र से देना चाहिए। तांबे में रखा पंचामृत इतना शुद्ध हो जाता है कि अनेकों बीमारियों को हर सकता है। इसमें मिले तुलसी के पत्ते इसकी गुणवत्ता को और बढ़ा देते हैं। ऐसा पंचामृत ग्रहण करने से बुद्धि स्मरण शक्ति बढ़ती है।

पंचामृत का सेवन करने से शरीर रोगमुक्त रहता है।

तुलसी रस से कई रोग दूर होते हैं और इसका जल मस्तिष्क को शांति प्रदान करता है।

पंचामृत अमृततुल्य है। इसका नियमित सेवन शरीर को रोगमुक्त रखता है। तुलसी के पत्ते गुणकारी सर्वरोगनाशक हैं। यह संसार की एक सर्वोत्तम औषधि है।

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पंचामृत बनाने की विधि 
पंचामृत बनाना बहुत ही सरल है, नीचे दी गई सामग्री का उपयोग कर आप भी आसानी से पंचामृत बना सकते हैं: 

दूध: 1 कि.ग्रा. 
दही: 2 छोटे चम्मच 
चीनी: स्वादानुसार 
शहद: 1/2 छोटा चम्मच 
तुलसी के 8-10 पत्ते 
गंगाजल: 1 छोटा चम्मच 
मेवा: मखाने, चिरौंजी, किशमिश

कैसे बनता है पंचामृत
एक डोंगे में दही डालकर उसे अच्छे से मिला लें। अब बाकी बची सामग्री को इसमें अच्छे से मिला लें। दूध मिलाने से पहले दही को ऐसे फैंट लें कि उसमें दूध आसानी से मिल जाए। इसके बाद बाकी बची साम्रगी अच्छे से मिला लें।

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लाभ 
पंचामृत में कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है जिनसे हड्डियां मज़बूत बनती हैं।

पंचामृत का पान दिमाग को शांत और गुस्से को कम करता है।

पंचामृत से आप हाज़मा और भूख न लगने की समस्या से मुक्ति पा सकते हैं।    

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