Inspirational Context: दूसरों के लिए कुआं खोदने वाले अवश्य पढ़ें ये प्रसंग

Edited By Prachi Sharma,Updated: 18 Feb, 2024 08:08 AM

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एक बादशाह के महल की चारदीवारी के अंदर ही एक वजीर और एक कारिंदा रहते थे। हमउम्र होने के कारण वजीर और कारिंदे के पुत्रों में गहरी दोस्ती थी।

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Inspirational Context: एक बादशाह के महल की चारदीवारी के अंदर ही एक वजीर और एक कारिंदा रहते थे। हमउम्र होने के कारण वजीर और कारिंदे के पुत्रों में गहरी दोस्ती थी। दोनों एक साथ पढ़ते और खेलते थे। वजीर के कहने पर कारिंदे का लड़का उसके सब काम कर देता था। वह वजीर को चाचा कहकर पुकारता था।
 
उस बादशाह के कोई संतान नहीं थी, इस कारण वह कारिंदे के पुत्र को बहुत प्रेम करता था। बादशाह कारिंदे के पुत्र को अपने पुत्र के समान ही समझता था। उसने उसे महल और दरबार में आने-जाने की पूरी छूट दे रखी थी।

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कारिंदे के पुत्र के प्रति बादशाह का प्रेम देखकर वजीर को बहुत ईर्ष्या होती थी। वजीर चाहता था कि बादशाह केवल उसके पुत्र को ही प्रेम करे क्योंकि यदि बादशाह ने उसके पुत्र को गोद ले लिया तो बादशाह की मृत्यु के बाद उसका पुत्र ही राजगद्दी पर बैठेगा।
 
वजीर की इच्छा के विपरीत बादशाह का प्रेम कारिंदे के पुत्र के प्रति बढ़ता ही गया। बादशाह वजीर के पुत्र को जरा भी पसंद नहीं करता था इसलिए वजीर कारिंदे और उसके पुत्र से मन-ही-मन ईर्ष्या करने लगा।
वजीर ने कारिंदे के पुत्र को मारने का निश्चय किया। उसने कारिंदे के पुत्र को रुमाल और पैसे देकर गोश्त लाने के लिए कहा। वजीर ने कारिंदे के पुत्र को अच्छी तरह समझाया कि गोश्त बाजार में गली की नुक्कड़ वाली दुकान से ही लाना। कारिंदे का बेटा रुमाल और पैसे लेकर बाजार की ओर चल दिया। उसने देखा कि उसका मित्र वजीर का बेटा भी वहां पर खेल रहा है।
 
उसे देखकर वजीर के लड़के ने कारिंदे के पुत्र से कहा कि तुम मेरा दांव खेलो, मैं जाकर गोश्त ले आऊंगा। कारिंदे के पुत्र ने उसे पैसे और रुमाल देकर दुकान का पता बता दिया। इस प्रकार वजीर का पुत्र गोश्त लेने चला गया और कारिंदे का पुत्र दांव खेलने लगा।

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वजीर के पुत्र ने दुकानदार को पैसे और रुमाल देकर कहा कि इसमें गोश्त बांध दो। कसाई ने रुमाल में बने हुए निशान को पहचान लिया। वह रुमाल वजीर ने कसाई को दिखाते हुए कहा था कि जो लड़का इस रुमाल को लेकर गोश्त लेने आए तुम उसे मौत के घाट उतार देना। कारिंदे के पुत्र को मारने के लिए वजीर ने कसाई को पैसे भी दिए थे। कसाई ने अंदर सारी तैयारी पहले ही कर ली थी।

कसाई ने रुमाल और पैसे लेकर उस लड़के को वहां बैठने के लिए कहा और स्वयं अंदर गोश्त लेने चला गया। तभी वहां पर लड़का भी चला गया। कसाई ने तुरंत उस लड़के को उठाकर जलती हुई भट्टी में झोंक दिया।

कारिंदे का पुत्र अपना दांव खेल कर अपने घर जा रहा था कि उसे रास्ते में वजीर मिल गया।

 कारिंदे के पुत्र ने पूछा, ‘‘चाचा, भैया गोश्त ले आया ?’’ इतना सुनते ही वजीर के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। त

भी कारिंदे के पुत्र ने कहा, ‘‘चाचा भैया ने मुझसे रुमाल और पैसे ले लिए थे और कहा कि तुम मेरा दांव खेल लो, मैं गोश्त लेकर घर चला जाऊंगा। मैंने भैया को दुकान का पता भी बता दिया था।’’
 
वजीर की आंखों के आगे अंधेरा छा गया और उसके मुख से एक शब्द भी नहीं निकला।

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अपने पुत्र को याद करता हुआ वह अपने घर चला गया। उसे वह कहावत याद आ रही थी कि जो दूसरों के लिए कुआं खोदता है उसमें स्वयं गिरता है।

शिक्षा: इस प्रसंग से हमें यही शिक्षा मिलती है कि जो किसी का बुरा करना चाहता है ईश्वर उसी प्रकार उसका ही बुरा कर देते हैं इसलिए हमें कभी किसी का बुरा नहीं करना चाहिए। बुरे काम का बुरा नतीजा।
 

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