Edited By Jyoti,Updated: 10 Apr, 2019 04:54 PM
5-6 साल का एक बालक अपने कुछ साथियों के साथ खेल रहा था। बच्चों ने बगीचे से आम तोड़ने की योजना बनाई, वह भी साथ चला गया। हालांकि वह दूसरे बच्चों की तरह आम नहीं तोड़ रहा था बल्कि चुपचाप एक कोने में खड़ा रहा।
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5-6 साल का एक बालक अपने कुछ साथियों के साथ खेल रहा था। बच्चों ने बगीचे से आम तोड़ने की योजना बनाई, वह भी साथ चला गया। हालांकि वह दूसरे बच्चों की तरह आम नहीं तोड़ रहा था बल्कि चुपचाप एक कोने में खड़ा रहा। साथियों के बहुत उकसाने पर भी उसने आम नहीं तोड़े। बगीचे में खिल रहे फूलों पर उसकी नजर पड़ गई। उनमें गुलाब का एक बड़ा फूल देखकर उसके मन में लालच आ गया। उसने चुपके से उस फूल को तोड़ लिया।
ठीक उसी समय बगीचे का माली पहुंच गया। माली को देखते ही सब लड़के वहां से भाग गए लेकिन वह समझ ही नहीं पाया कि उसे क्या करना चाहिए और वहीं पर खड़ा रहा। माली ने उसे पकड़ लिया। अब माली उससे पूछने लगा, ‘‘बता कहां है तेरा घर, चल जरा मैं तेरे बाबू जी से तेरी करतूत बता कर आता हूं।’’ यह सुनकर लड़का मायूस हो गया। उसने सहम कर धीमे स्वर में कहा, ‘मेरे पिता जी नहीं हैं लेकिन मैंने आम नहीं तोड़े हैं, एक फूल तोड़ा है।’’
बालक का भोलापन और उसकी सहज आंखें देखकर माली बड़ा प्रभावित हुआ। उसने उसे प्यार से समझाया, ‘‘तू इतना अच्छा बच्चा है, फिर तो तु हें ऐसे काम बिल्कुल नहीं करने चाहिएं। तु्म्हें पिटाई से भी बचाने वाला कोई नहीं है। कभी कोई चीज अच्छी लगे तो उसे उसके मालिक से मांग लेना चाहिए। इस तरह लेना तो चोरी कहलाता है।’’
बालक को लगा जैसे माली के रूप में उसके जीवन को सही दिशा बताने वाला कोई गुरु मिल गया। उसने तभी अच्छा मनुष्य बनने का संकल्प कर लिया। माली की बात की उसने ऐसी गांठ बांध ली कि उसका जीवन एक मिसाल बन गया। वह बालक और कोई नहीं, लाल बहादुर शास्त्री था जो आगे चलकर अपनी सच्चाई, ईमानदारी और कत्र्तव्यनिष्ठा के बल पर देश का प्रधानमंत्री बना।
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